मध्यप्रदेश: शिवराज और कैलाश में श्रेय लेने की होड़

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अरुण दीक्षित

भोपाल: बंगाल चुनाव में हार की बजह से जहाँ एक ओर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सदमें में है वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के दो नेताओं में खुद को बड़ा बताने की होड़ लगी हुई है।यह काम दोनों के समर्थक कर रहे हैं। इनकी ओर से उनके द्वारा किए गए प्रचार और उसके नतीजों का प्रचार किया जा रहा है। ये नेता हैं-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के केंद्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय। विजयवर्गीय पिछले 5 साल से बंगाल में डेरा डाले हुए हैं।

विधानसभा चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा नेतृत्व को बंगाल में झटका दिया है वहीं असम उसकी उम्मीदों पर खरा उतरा है। चुनाव प्रचार में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी शामिल हुए थे। आज शिवराज खेमे की ओर से मीडिया को बताया गया कि उन्होंने असम और बंगाल में सात विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं की थीं। इनमें से 6 में पार्टी प्रत्याशी जीते हैं। असम में वह पलासबाड़ी,नाहरकटिया, दुलियाजन और डिब्रूगढ़ में प्रचार करने गए थे।ये चारों सीटें भाजपा जीती है।

जबकि बंगाल में उन्होंने मोयना, खेजुरी और जगतबल्लभपुर में पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया था। इनमें खेजुरी औऱ मोयना में पार्टी प्रत्याशी जीते हैं। इस तरह शिवराज सिंह चौहान ने शानदार प्रदर्शन किया है। उधर कैलाश विजयवर्गीय के समर्थक उन्हें बंगाल टाइगर बता रहे हैं।उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया हुआ है।इसमें दावा किया गया है कि कैलाश ने बंगाल की बंजर भूमि पर शानदार प्रदर्शन किया है।उन्होंने वहां पार्टी को 3 से 76 सीटों तक पहुंचाया है।यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।

कैलाश के प्रशंसकों ने दो मिनट 14 सेकेंड का एक वीडियो भी जारी किया है।जिसमे कहा गया है कि उन्होंने शेर की तरह हर चीज का मुकाबला किया और पार्टी को स्थापित किया।इस वीडियो में कैलाश का महिमामंडन किया गया है। यूं तो प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र भी बंगाल चुनाव में लगे थे लेकिन उंन्होने या उनके समर्थकों ने कोई श्रेय नही लिया है।

उधर कांग्रेस ने इस पर चुटकी ली है।कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं-दरअसल यह नम्बर बढ़ाने का खेल है।शिवराज सिंह 7 में 6 सीटों पर जीत का श्रेय लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगे निकलना चाहते हैं।औसत की दृष्टि से देखें तो मोदी शिवराज से बहुत पीछे नजर आएंगे। वैसे भी 2014 में लालकृष्ण आडवाणी शिवराज को पीएम मैटीरियल बता ही चुके हैं।शिवराज जी चुपचाप इसी मुहिम में लगे हैं।क्योंकि अभी भाजपा के क्षेत्रीय क्षत्रपों में वह सबसे आगे हैं।

जहाँ तक कैलाश विजवर्गीय का सवाल है, उनकी नजर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।शिवराज उन्हें विधानसभा से बाहर करवा चुके हैं।वह मध्यप्रदेश से भी बाहर हो गए हैं। ऐसे में वह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं।ममता बनर्जी के सामने करारी हार के बाद भी अगर वह श्रेय ले रहे हैं तो इसकी चिंता शिवराज को करनी चाहिये। वैसे सच तो यह है कि बंगाल में भाजपा 2019 का अपना प्रदर्शन नही दोहरा पायी है।

उस समय उसने 121 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी।लेकिन अब वह 76 पर सिमट गई है। फिर भी यदि कैलाश समर्थक उन्हें बंगाल टाइगर कह रहे हैं तो अच्छी बात है। फिलहाल हार के कथित सदमें में डूबे भाजपा नेता इस मुकाबले का पूरा मजा ले रहे हैं।एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- अब हम भी थोड़े थोड़े कांग्रेस जैसे हो गए हैं।जब उससे सत्ता ली है तो उनके गुण-दुर्गुण भी आ ही जायेंगे।सब अपनी अपनी लाइन बड़ी करना चाहते हैं।इसमें बुराई क्या है। आप भी आनन्द लीजिए।वाकी तो खुद मोदी जी ही देखेंगे।