इस दिन से 15 दिन के लिए क्वारेंटाइन हो जाएंगे भगवान जगन्नाथ, ये है वजह

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देवी-देवताओं के श्रीविग्रह का अभिषेक एवं स्नान कराने की परंपरा पुजारीगण ही निभाते हैं। लेकिन भगवान जगन्नाथ एकमात्र ऐसे देवता है जिनके श्रीविग्रह को स्नान कराने का अवसर साल में एक बार भक्तगणों को मिलता है। बता दे, ये परंपरा काफी पुरानी है। ये परंपरा पुरानी बस्ती स्थित 400 साल पुराने मंदिर में 24 जून को मनाई जाएगी।

ऐसा कहा जाता है कि अत्यधिक स्नान करने से भगवान बीमार हो जाते हैं। जिसकी वजह से भगवान जगन्नाथ एकांतवास पर चले जाएंगे। ऐसे में इस दौरान 15 दिनों तक मंदिर के पट पूरी तरह से बंद कर दिए जाते हैं। इसके अलावा उन्हें स्वस्थ करने के लिए विविध औषधियों से बनाया गया काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई जाएगी।

आपको बता दे, पुरानी बस्ती स्थित जगन्नाथ मंदिर के महंत रामसुंदरदास ने इसको लेकर बताया है कि 24 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बड़े भैय्या बलदाऊ और बहन सुभद्रा के विग्रह को गर्भगृह से बाहर निकालकर प्रांगण में रखा जाएगा।

भक्तगण अपने हाथों से भगवान को स्नान करवाएंगे। सालभर तक भक्तगण इस पल का इंतजार करते हैं। भक्तों द्वारा स्नान कराए जाने की यह परंपरा मंदिर स्थापना के दौरान से यानी लगभग 400 साल से लगातार निभाई जा रही है।

बता दे, भगवान जगन्नाथ एकमात्र भगवान हैं जो साल में दो बार भक्तों को दर्शन देने के लिए स्वयं मंदिर से बाहर आते हैं। ऐसे में 15 दिनों तक भगवान पूरी तरह से आराम करते हैंं। वहीं भगवान को काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई जाती है।

मान्यता है कि स्वस्थ होने के बाद भगवान पहली बार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को रथ पर सवार होकर अपनी प्रजा से मिलने जाते हैं। वहीं दूसरी बार एकादशी तिथि को भी अपनी मौसी के घर से लौटते वक्त भगवान रथ पर आरूढ़ होकर प्रजा को दर्शन देते हैं।

इस दिन बंद हो जाएंगे पट –

24 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान परंपरा के पश्चात 15 दिनों के लिए मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। दरअसल, कोरोना महामारी के चलते प्रशासन के नियमों के चलते मंदिर के पट बंद हैं। ऐसे में अभी तक भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

लेकिन यहां पुजारियों द्वारा विधिवत पूजा की परंपरा निभाई जा रही है। वहीं बताया जा रहा है कि विश्राम काल के बाद 11 जुलाई को भगवान नेत्र खोलेंगे। इस दिन नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन 12 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलदेव, सुभद्रा को रथ पर विराजित करने की परंपरा निभाएंगे।

सैकड़ों साल से क्वारेंटाइन की परंपरा –

पुजारी संजय जोशी बताते हैं कि कोरोना महामारी में प्रशासन ने बीमार लोगों को 14 दिन क्वारेंटाइन में रहने का नियम बनाया है। यह परंपरा हमारे यहां सैकड़ों साल से चली आ रही है। भगवान जगन्नाथ का ज्येष्ठ पूर्णिमा से अमावस्या तक एकांतवास में रहना एक तरह से क्वारेंटाइन में रहना ही है।