लोक मंगल का पर्व शुभ दीपावली

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राजकुमार जैन

त्योहारों का मौसम है, वातावरण मे रिश्तों की गर्मजोशी फैली हुई है। इस त्यौहारी मौसम का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली दहलीज पर खड़ा है। इसके आने का इंतजार पूरे साल शिद्दत से किया जाता है। यह त्योहार हम सभी सम्पूर्ण उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं । इस दिन हम सभी एक दूसरे को शुभकामना देते हुए “हैप्पी दिवाली” बोलते हैं, सोशल मीडिया, वाट्सएप और संवाद के अन्य माध्यम “हैप्पी दीवाली” के संदेशों से पट जाते है। उत्साह और खुशी से भरे सदेशों की इस भीड़ में कभी कभार “शुभ-दीपावली” शब्द भी देखने, पढ़ने और सुनने को मिल जाता है।

प्रभु श्रीराम द्वारा रावण वध और लंका विजय पश्चात माता सीता संग अयोध्या लौट कर आने की खुशी में मनाया जाने वाला हमारा यह सनातन त्योहार “शुभ-दीपावली”, कब और कैसे “हैप्पी-दीवाली” में बदल गया हमें पता ही नहीं चला। शायद पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव और समय की कमी के दबाव के चलते शार्टकट अपनाकर हम ना केवल अपनी गौरवशाली परंपरा से कट रहे हैं बल्कि अर्थ का अनर्थ भी कर रहे हैं।

दीपावली के प्रसंग में हम बिना विचारे शुभ के स्थान पर हैप्पी बोलने लगे हैं। वस्तुत: शुभ लोक मंगल का शब्द है जबकि हैप्पी या आनंद निजता का शब्द है। दीपावली निजी ना होकर लोक मंगल का पर्व है। तो यहां शुभ दीपावली कहना ही उचित है ना कि हैप्पी दीवाली। जब हम शुभ की बात करेंगे तो हैप्पी तो बिना कहे ही हो जाएंगे। अरे यार क्या फर्क पड़ता है, इतनी गहराई में मत जाओ, इतना सर कौन खपाए या जाने भी दो यारों के इस तटस्थ और उदासीन भाव के साथ हम अपने सांस्कृतिक वैभव को बिसरा रहे हैं जिसका परिणाम हमारी भावी पीढ़ी भोगेगी।

भारतीयता का भाव हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है और यह प्रतीक एक एक शब्द को जोड़कर गढ़ा जाता है। दीपावली के इस महापर्व पर यह संकल्प लेना जरूरी है कि हम निजता से परे जाकर लोकमंगल की बात करेंगे। भगवान श्रीराम लोक मंगल के अधिष्ठाता हैं और हम उनके वंशज पूरे विश्व का शुभ चाहते हैं इसलिए बार बार, हर बार दीपावली शुभ हो कहना ही उचित है।

यह अंग्रेजी के खिलाफ जाने या हिंदी के समर्थन में आने की बात नहीं है, यह हमारे पर्व मनाने के भाव को प्रसारित करने की बात है। बेमेल भाषाई रूपांतरण के कारण “हैप्पी दीवाली” और “शुभ दीपावली” के बीच पसरा यह वृहद सास्कृतिक अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। एक स्वतंत्र और मजबूत राष्ट्र के रूप में अपना त्योहार अपनी भाषा में मनाने के भाव का महत्व भी अपनी जगह है ही। अब “हैप्पी दीवाली” को टाटा बाय बाय करके हम सभी कहेंगे “शुभ दीपावली”