Lok Adalat: एक दिन में न्याय दिलाने वाली लोक अदालत कैसे करती हैं काम, यह कोर्ट से कितनी अलग

srashti
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Lok Adalat : भारत में विवादों के शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालत एक प्रभावी मंच के रूप में उभरा है। यह न्यायिक प्रणाली का ऐसा भाग है जहां कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, दोनों पक्षों की सहमति से मामलों का समाधान किया जाता है। आइए, लोक अदालत की प्रक्रिया, महत्व और इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।

Lok Adalat क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों?

लोक अदालत एक वैधानिक मंच है, जहां मामलों को बिना किसी जटिल कानूनी प्रक्रिया के हल किया जाता है। इसका मूल विचार भारत की प्राचीन न्याय पंचायत प्रणाली से लिया गया है, जिसमें ग्रामीण स्तर पर विवादों का समाधान स्थानीय लोगों की मदद से किया जाता था।

कानूनी मान्यता

1987 में नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट (NALSA) के तहत लोक अदालतों को वैधानिक मान्यता दी गई। इसका उद्देश्य लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करना और अदालतों पर बोझ को कम करना था।

Lok Adalat की विशेषताएं

1. कोर्ट फीस की छूट

  • लोक अदालत में विवादों के समाधान के लिए किसी प्रकार की अदालत फीस नहीं देनी पड़ती।
  • अगर मामला अदालत में पहले से दर्ज है और लोक अदालत में सुलझ जाता है, तो जमा की गई फीस वापस कर दी जाती है।

2. त्वरित न्याय

  • लोक अदालत में मामलों का निपटारा तेज़ी से होता है।
  • यहां वकील की सहायता से पक्षकार सीधे न्यायाधीश से बातचीत कर सकते हैं।

3. सहमति आधारित समाधान

  • विवादों का समाधान दोनों पक्षों की सहमति से होता है।
  • यदि सहमति नहीं बनती, तो मामला औपचारिक अदालत में वापस चला जाता है।

Lok Adalat में कौन-कौन से मामले शामिल होते हैं?

सुलझाए जा सकने वाले मामले

  • दीवानी मामले (Civil Cases)
  • वैवाहिक विवाद
  • संपत्ति विवाद
  • श्रम विवाद
  • बकाया ऋण वसूली
  • दुर्घटना मुआवजा मामले

असहमति योग्य मामले

लोक अदालत में आपराधिक मामलों, गंभीर अपराधों या गैर-सहमति योग्य विवादों को शामिल नहीं किया जाता।

Lok Adalat के विभिन्न प्रकार

1. राष्ट्रीय लोक अदालत

  • पूरे देश में एक ही दिन में आयोजित की जाती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तालुका स्तर तक मामलों का समाधान किया जाता है।
  • बड़ी संख्या में विवादों का निपटारा एक दिन में किया जाता है।

2. राज्य स्तर पर लोक अदालत

  • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित।
  • हर पीठ में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सेवानिवृत्त न्यायाधीश या न्यायिक अधिकारी शामिल होते हैं।

3. जिला स्तर पर लोक अदालत

  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित।
  • इसमें न्यायाधीश और अन्य न्यायिक अधिकारी शामिल होते हैं।

4. तालुका स्तर पर लोक अदालत

  • तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित।
  • स्थानीय स्तर पर विवादों का समाधान सुनिश्चित करता है।

5. स्थायी लोक अदालत

  • सार्वजनिक सेवाओं (जैसे परिवहन, डाक, टेलीग्राफ) से संबंधित विवादों के समाधान के लिए स्थापित।
  • यह स्थायी संस्थान होती है, जिसमें अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं।

Lok Adalat के लाभ

  • सस्ता और सरल न्याय: लोक अदालत में कोर्ट फीस माफ होती है।
  • समय की बचत: मामलों का त्वरित समाधान होता है।
  • दोनों पक्षों की सहमति: विवाद समाधान में सहमति पर जोर दिया जाता है।
  • अदालत का भार कम करना: लंबित मामलों की संख्या घटाने में सहायक।