इंदौर। महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय, इंदौर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस के उपलक्ष्य पर दिनांक 27 से 31 जुलाई के बीच लीवर और हेपेटाइटिस शिविर का आयोजन किया जायेगा। इसी के साथ हर शुक्रवार को नियमित रूप से हेपेटाइटिस और लीवर क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी। इस शिविर और क्लीनिक का स्थान गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग, सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय, इंदौर की दूसरी मंजिल पर होगा।
अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया कि जी.आई. कैंसर, अग्न्याशय, पित्ताशय और पथरी रोग स्पेक्ट्रम उपचार के लिए अग्न्याशय और पित्त संबंधी क्लीनिक शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं, जिसमे हेपेटाइटिस बी एवं सी का निशुल्क निदान और उपचार, अल्ट्रासाउण्ड और सभी लिवर फंक्शन टेस्ट भी निशुल्क किये जायेंगे।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2024 हर साल 28 जुलाई को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक खास थीम पर मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व हेपेटाइटिस दिवस यानी वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे की थीम “इट्स टाइम फॉर एक्शन” (It’s time for action) रखी गई है, जो कि निदान और उपचार तक पहुँच में सुधार हेतु सहयोग की आवश्यकता पर जोर देती है।
पेट और लीवर रोग विज्ञान के प्रमुख डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि 28 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व हेपेटाइटिस दिवस हेपेटाइटिस बारे मे जागरूकता बढाने हेतु है। लीवर की सूजन ओर गंभीर लीवर रोग से कैंसर बनने का कारण बनती है। स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हेपेटाइटिस से संबंधित रोग के कारण हर 30 सेकंड में लोगो की मृत्यु होती है जिसमें बेहतर रोकथाम, निदान और उपचार से जान बचाई जा सकती है और स्वास्थ्य सेवा के परिणामों में सुधार किया जा सकता है।
हेपेटाइटिस वायरस के 05 मुख्य प्रकार ए, बी, सी, डी एवं ई है, जिसमें बी और सी सबसे आम संक्रमण हैं ओर इनके परिणाम स्वरूप हर वर्ष 1.3 मिलियन मृत्यु एवं 2.2 मिलियन नये संक्रमण सामने आते हैं। इसके निधान और उपचार के लिए बेहतर उपकरणो और उत्पाद की कीमतो में कमी के बावजूद परिक्षण ओर उपचार हेतु कमिया आ रही है। लेकिन, अगर अभी से त्वरित कार्यवाही की जाये तो 2030 तक (WHO) के उन्मूलन लक्ष्य तक पहुँचना अभी भी संभव होगा।
वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस उन्मूलन का है लक्ष्य
वर्ष 2024 में विश्व हेपेटाइटिस दिवस की थीम है ” यह कार्रवाई का समय है ” । थीम हेपेटाइटिस निदान और उपचार तक पहुँच में सुधार के लिए सहयोग की आवश्यकता पर जोर देती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हेपेटाइटिस से संबंधित स्थिति के कारण हर 30 सेकंड में लोग मरते हैं, और बेहतर रोकथाम, निदान और उपचार से जान बचाई जा सकती है और स्वास्थ्य सेवा के परिणामों में सुधार हो सकता है। तीन क्रोनिक हेपेटाइटिस संक्रमण दुनिया भर में हेपेटाइटिस मृत्यु दर के 95% से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि हमारे पास क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस के निदान, उपचार और रोकथाम के लिए मार्गदर्शन और उपकरण हैं, लेकिन ये सेवाएँ अक्सर समुदायों की पहुँच से बाहर होती हैं ।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2024 पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यकृत रोग के निदान, रोकथाम और उपचार को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जिससे हेपेटाइटिस उन्मूलन लक्ष्य 2030 को प्राप्त किया जा सके।अधिकांश तीव्र हेपेटाइटिस संक्रमण हल्की बीमारी का कारण बनते हैं और कभी-कभी पता नहीं चल पाते हैं। लेकिन कभी-कभी, यह तीव्र यकृत रोग को जन्म देता है और घातक हो सकता है, इसके अलावा इसके लिए यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है ।
वैश्विक स्तर पर, प्राथमिक ध्यान हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमण को खत्म करने पर है। तीव्र वायरल हेपेटाइटिस के विपरीत, ये तीन संक्रमण क्रोनिक हेपेटाइटिस का कारण बनते हैं ।
हेपेटाइटिस के लक्षण
इस हेपेटाइटिस के लक्षण संक्रमण के प्रकार और गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इनमें थकान और कमजोरी, मतली और उल्टी,त्वचा और आखों का पीला पड़ना,पेट में दर्द,भूख न लगना,गहरे रंग का यूरिन,जोड़ों का दर्द,बुखार के लक्षण हैं। अधिकांश तीव्र हेपेटाइटिस संक्रमण हल्की बीमारी का कारण बनते हैं और कभी-कभी पता नहीं चल पाते हैं। लेकिन कभी-कभी, यह तीव्र यकृत रोग को जन्म देता है और घातक हो सकता है, इसके अलावा इसके लिए यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है ।