दिल्ली से प्रकाशित होने वाली ‘शब्दाहुति’ साहित्यिक पत्रिका का लोकार्पण इंदौर में 21 फरवरी रविवार को किया गया। लोकार्पण में मुख्य अतिथि के रूप में मनीष वैध (वरिष्ठ कहानीकार), सतीश राठी( वरिष्ठ लघुकथाकार), कीर्ति राणा, नरेंद्र मांडलिक(वरिष्ठ मालवी कवि) अमरवीर चड्ढा (अध्यक्ष वामा साहित्य मंच) मौजूद रहें। इस कार्यक्रम के संयोजक सुषमा दुबे,(अध्यक्ष विचार प्रवाह साहित्य मंच) एवं संचालन सुषमा व्यास राजनिधि, संध्या राय चौधरी, विजय सिंह चौहान और मुकेश तिवारी है।
अदिति सिंह भदौरिया( उप संपादक) ने बताया हमारा मुख्य उद्देश्य शब्दाहुति के ज़रिए वरिष्ठ रचनाकारों के साथ- साथ युवा रचनाकारों को एक पटल प्रदान करना है इसमें किसी भी रचनाकार से उनको रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए किस भी प्रकार का अनुदान नहीं लिया जाएगा इसी के साथ हम आशा करते है कि मध्यप्रदेश में टॉप 5 पत्रिकाओं में शब्दाहुति अपनी जगह बनाने में कामयाब होगी।
काव्यांजलि में मौजूद साहित्यकारों ने अपने विचारों से समा बांधा जिसमें मनीष वैद्य जी ने कहां जब पत्रिकायें डूब रही है तब शब्दाहुति का उदगम हुआ साहित्यिक पत्रिकाओं का इस दौर में क्षय हुआ है। पत्रिकाओं के लिए वैचारिक स्तर बना कर रखना होगा आज के दौर में संवेदना खत्म होती जा रही है।सपनों का मरना नहीं संवेदना का खत्म होना ज़िन्दगी की सबसे बड़ी त्रुटि है।
सोशल मीडिया के वक्त में लेखकों की संख्या में उछाल आया है महिला रचनाशीलता बढ़ी है। किताबों से बड़ा कोई गुरु नहीं है समाज को आइना दिखाने का काम साहित्य पत्रिका करती है। सतीश राठी (वरिष्ठ लघुकथाकार) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भाषा का साहित्य ही उसका श्रृंगार बनेगा समाचार पत्रों में साहित्य खत्म हो गया है आज मीडिया भोंपू की तरह हो गया है। कोरोना काल में जब लॉक डाउन था तब सबसे ज्यादा साहित्य रचा गया ।