शराब नीति बनी CM शिवराज के लिए राजनीतिक संकट, प्रमुख सचिव के निर्णय से आ रही दिक्कत!

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इंदौर। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma bharti) के तीखे तेवरों के कारण प्रदेश की प्रस्तावित शराब नीति सीएम शिवराज सिंह चौहान के गले की हड्डी बनती जा रही है। मध्यप्रदेश की नई शराब नीति कैसी हो, इसके बारे में उमा भारती ने कई बार सीएम शिवराज को अपने सुझाव भेजे है।

इन सबके बिच आपको बता दे कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) न शराब के प्रेमी है और नाही वह शराब पर ज्यादा बात भी करना पसंद करते हैं। समस्या की जड़ में प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी का जिद्दीपन है। क्योकि साल 2022-23 में बिना आबकारी विभाग के तकनीकी अधिकारियों और आबकारी आयुक्त की बिना सहमति के देसी शराब में विदेशी शराब और विदेशी शराब में देसी शराब बेचने की अनुमति कंपोजिट्स शॉप के नाम से दे दी गई। इनके आधार पर ही प्रदेश में 1,200 कमपोजिट दुकानें खुल गई है।

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जानकारी के लिए आपको बता दे कि, आबकारी विभाग चाहता था कि देसी दुकान विशेष रुप से देसी रहे और विदेशी विशिष्ट रूप से विदेशी रहे। लेकिन प्रमुख सचिव के दबाव और प्रमुख सचिव के ऊपर वरिष्ठ अधिकारियों का आशीर्वाद होने के कारण 1,200 नई दुकानों का निर्णय लिया गया। अब गांव-गांव में शहर-शहर में दुकानें खुल गई है। जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि, आबकारी विभाग अपने पूर्व मुखिया राजीव दुबे के साथ दुकान खोलने का इच्छुक नहीं था और ना ही देसी में विदेशी और विदेशी में देसी बेचने का इच्छुक था।

प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के निर्णय से गली-कूचे में रहने वाली देसी शराब की दुकान के पास विदेशी शराब बेचने के लिए कमपोजिट शॉप भी बन गई है और उसके साथ एक अहाता भी तैयार हो गया है। इसी प्रकार विदेशी शराब कि जो स्थापित दुकानें थी उनके आसपास देसी शराब खोलकर उसे कमपोजिट शॉप का नाम दिया गया और आहाता भी खोल दिया गया। यदि देसी में देशी और विदेशी में विदेशी पिछले 15 सालों की तरह बिकती रहती तो कोई भी शराब आंदोलन ना पैदा होता और ना ही माननीय मुख्यमंत्री को किसी राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ता।

आज के समय में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) जिन मुद्दों को उठा रही हैं और जिन दुकानों और आहातो का जिक्र कर रही हैं वास्तव में यह प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के कर कमलों से संपन्न हुआ है। शिवराज जी (CM Shivraj) के पास अब कोई चारा नहीं है कि आहाते कितने बंद की जाए और कितनी दुकानें बंद की जाए इस पर कोई निर्णय हो। आज फरवरी माह खत्म होने को है न शराब की पॉलिसी सामने आई है और ना ही देसी शराब के डिस्टलरीयों के ठेके हुए।

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