भाजपा में पुष्यमित्र भार्गव की तरह कांग्रेस की साक्षी शुक्ला को भी घर बैठे मिला टिकट

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कीर्ति राणा

इंदौर :  जिस तरह भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के पास टिकट चल कर आया कुछ ऐसा ही वार्ड क्रमांक 7 की कांग्रेस प्रत्याशी एडवोकेट साक्षी (नैना) शुक्ला के साथ भी हुआ है।उन्हें कमलनाथ के सीधे हस्तक्षेप से टिकट मिला है और मुकाबले में हैं भावना मिश्रा, जो पूर्व पार्षद मनोज मिश्रा की पत्नी हैं।पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता चाहते थे किसी जैन को प्रत्याशी बनाए। टिकट मिलने के बाद से यह प्रचारित किया जा रहा है कि साधना सिंह के हस्तक्षेप के बाद भावना का नाम फायनल किया गया है।

हकीकत जो भी हो लेकिन अंजाने में ही इस वार्ड का चुनाव पूर्व सीएम और वर्तमान सीएम की पत्नी की वजह से प्रतिष्ठापूर्ण बनता जा रहा है। शहर की समस्याओं को लेकर कमलनाथ, दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेताओं से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली साक्षी शुक्ला तो वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सिंह की जूनियर के रूप में कार्य कर रही थीं।पूर्व पार्षद-पिता अनिल शुक्ला कांग्रेस में सक्रिय जरूर हैं लेकिन बेटी को टिकट के लिए प्रयासरत नहीं थे तो उसकी खास वजह यह कि शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता कृपाशंकर शुक्ला अपनी पोती सांभवी शुक्ला को टिकट दिलाने के लिए तमाम बड़े नेताओं के संपर्क में थे।

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उनके पुत्र अतुल शुक्ला ने इस वार्ड से पार्षद रहते पारिवारिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली थी। बाद में उनकी पत्नी सोनिया को टिकट दिया और वे चुनाव जीती भी थीं। इस बार पंडितजी अपनी पोती सांभवी के लिए टिकट मांग रहे थे। कांग्रेस से सांभवी को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग के पीछे पं शुक्ला का वही तर्क था कि उनकी बहू सोनिया पहले इसी वार्ड से पार्षद रही हैं। इस दावे के चलते उनके भतीजे अनिल शुक्ला ने भी बेटी साक्षी के लिए भागदौड़ नहीं की थी। कमलनाथ की 15 जून की इंदौर यात्रा में भी इस वार्ड को लेकर मंथन चला था।

पंडित जी की पोती सांभवी शुक्ला के अलावा अन्य नाम पर चर्चा में कुछ नेताओं द्वारा साक्षी का नाम रखे जाने पर पिता अनिल शुक्ला ने कह दिया था कि सांभवी को प्र्त्याशी बना दें, हमारे परिवार की ही है, उसके लिए मेहनत करेंगे। कमलनाथ ने कोई तर्क सुने बिना अपने सर्वे का हवाला देकर विनिंग केंडिटेट बताते हुए साक्षी (नैना) का नाम फायनल कर दिया। इस नाम को अधिक उपयुक्त बताने वाले पार्टी नेताओं का यह भी तर्क था की वह ब्राह्मण परिवार की बेटी और जैन समाज (तेज कुमार डागा) की बहू भी है। भाजपा ने किसी जैन को टिकट नहीं दिया है जबकि 25 बूथ वाले इस वार्ड में 12 बूथ जैन बहुल हैं।पार्टी के संकटमोचक सज्जन वर्मा को कमलनाथ ने पं कृपाशंकर शुक्ला को मनाने की जिम्मेदारी भी सौंप दी।

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साक्षी द्वारा नामांकन दाखिल करने के दौरान पं शुक्ला तो अस्वस्थता की वजह से साथ नहीं आए लेकिन उनके परिवार के बाकी सदस्य यह मैसेज देने के लिए साथ थे कि साक्षी भी हमारे परिवार की ही है। सुदर्शन गुप्ता चाहते थे किसी जैन को मौका दें साधना सिंह के वीटो से मिश्रा को मिला टिकट  पिछले चुनाव में पुरुष वार्ड रहने से भाजपा से मनोज मिश्रा कांग्रेस के महेश शर्मा को हरा कर जीते थे।उस चुनाव में मनोज मिश्रा को टिकट सुदर्शन गुप्ता की सिफारिश पर ही मिला था।
इस बार सामान्य महिला वार्ड हो जाने से वो पत्नी भावना के लिए सक्रिय थे।

कभी विष्णु प्रसाद शुक्ला (बड़े भैया) की रक्षक टोली के सदस्य और बाद में क्षेत्र क्रमांक एक से भाजपा विधायक रहे सुदर्शन गुप्ता के खास हो गए मिश्रा का जब से गुप्ता खेमे से पत्ता कटा है, मिश्रा के परिवार में किसी को टिकट न मिले गुप्ता खेमे की ऐसी अड़चनों के बाद भी कहा जाता है कि शहर के 85 वार्डों में से इसी एक वार्ड का टिकट तय करने में  साधना सिंह का दखल रहने से मनोज मिश्रा के मन की हो सकी है। पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता के केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ ही मुख्यमंत्री, चौहान से भी उतने ही अच्छे संबंध हैं।

जब भी गुप्ता भोपाल साधना सिंह से सौजन्य मुलाकात को जाते थे उनके साथ मनोज मिश्रा भी रहते थे।गुप्ता से भले ही मिश्रा के संबंध नहीं रहे लेकिन चौहान से उनके संबंध यथावत हैं। उनकी पत्नी का टिकट फायनल होने की भी वजह चौहान का वीटो पॉवर ही है। इसके विपरीत इस वार्ड से सुदर्शन गुप्ता ने जैन समाज में प्रभाव रखने वाले नगर भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष जयदीप जैन की पत्नी सीमा जैन को टिकट देने का प्रस्ताव रखा था। उनका यह तर्क भी था कि यहां से जैन समाज का प्रत्याशी बनाए जाने पर क्षेत्र क्रमांक एक के जैन समाज बहुल वार्डों में भी पार्टी के पक्ष में माहौल बनेगा। इस वार्ड से तो ठीक पूरे क्षेत्र से भाजपा ने जैन समाज को टिकट नहीं दिया है।