आज के व्यस्त जीवन में कभी-कभी कुछ बातें भूल जाना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर यह समस्या बार-बार हो और आपकी दिनचर्या या सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा हो, तो यह अल्जाइमर रोग का संकेत हो सकता है। याददाश्त से जुड़ी हर समस्या को एक जैसा मानना सही नहीं है, क्योंकि यह अलग-अलग प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं। अल्जाइमर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल सितंबर माह को “अल्जाइमर माह” और 21 सितम्बर को “वर्ल्ड अल्जाइमर डे” के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “टाइम टू एक्ट ऑन डिमेंशिया, टाइम टू एक्ट ऑन अल्जाइमर्स”।
फिलहाल, अल्जाइमर का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाइयाँ और थेरेपी इस रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद करती हैं। इसके अलावा, अगर जीवनशैली में सुधार किया जाए तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है, जैसे कि धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी बनाना, तनाव से दूर रहना, मस्तिष्क को सक्रिय रखने के लिए दिमागी खेल खेलना और योग-प्राणायाम करना।
मेदांता सुपर स्पेशिलिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वरुण कटारिया बताते हैं, “भूलना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन अगर यह आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर रही है, तो यह अल्जाइमर हो सकता है। यह डिमेंशिया का एक प्रकार है, जिसमें याददाश्त कमजोर हो जाती है। यह रोग सामान्यतः वृद्ध लोगों में पाया जाता है, लेकिन आजकल की अनहेल्दी जीवनशैली के कारण 50 साल से कम उम्र के लोग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डिमेंशिया से ग्रस्त कुल मरीजों में से 60-70 प्रतिशत अल्जाइमर के होते हैं।”
आगे डॉ. कटारिया ने कहा हैं, “अल्जाइमर मस्तिष्क की कोशिकाओं के नष्ट होने से होता है, जिसे मेडिकल भाषा में ”न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसीज़’ कहते हैं। अल्जाइमर मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जो सोचने, समझने और याद रखने का काम करता है। इसके चलते याददाश्त पर सीधा असर पड़ता है। बीमारी के अंतिम चरण में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि मरीज को यह भी याद नहीं रहता कि वह कहां रहता है और घर में कौन-सी चीज कहां रखी है। उसे निर्णय लेने में भी कठिनाई होती है। अल्जाइमर का मुख्य कारण वृद्धावस्था है, लेकिन यह अनुवांशिक भी हो सकता है। इसके अलावा, प्रदूषण, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, धूम्रपान और मस्तिष्क में गंभीर चोट भी इसके कुछ प्रमुख कारण हैं।”