नवरात्रि का दूसरा दिन, जानें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और उपासना के नियम

Ayushi
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कल से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि का पवन पर्व शुरू हो चुका है। ऐसे में नौ दिनों में माँ के नौ अलग अलग नौ रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन अलग अलग माता के स्वरूपों को समर्पित होता है। माता रानी की विशेष पूजा अर्चना करके उनका विशेष उनको प्रसन्न करते है। आज शारदीय नवरात्रि के दूसरा दिन पर भक्त माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इन नौ दिनों माँ की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है और इन दिनों पूजन करने से विशेष फल मिलता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से मंगल ग्रह दोष दूर होता है।

आपको बता दे, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। दरअसल, कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। साथ ही उन्हें ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना गया है। आज हम आपको इनकी पूजा और स्वाधिष्ठान चक्र के बारे में बताने जा रहे हैं।

पूजा विधि –

नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और उपासना के समय पीले और सफेद रंग के ही वस्त्र धारण करना चाहिए। साथ ही मां को भी सफेद वस्तुएं अर्पित करें। जैसे मिसरी, शक्कर या पंचामृत। साथ ही ज्ञान और वैराग्य के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। वहीं मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ॐ ऐं नमः” का जाप करें। इस दिन जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

स्वाधिष्ठान चक्र को ऐसे करें मजबूत –

आपको बता दे, ये चक्र व्यक्ति के अंदर विश्वास बनाए रखता है। लेकिन कभी कभी अविश्वास के चलते हमेशा ऐसा लगता है कि उनके साथ बुरा होने वाला है या भूरा। ऐसे लोग कभी कभी काफी क्रूर होते हैं। वहीं वह लोग ही कभी कभी बहुत कामुक होते हैं। अगर इस चक्र को मजबूत करना है तो आपको रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करें। साथ ही सफेद आसन पर बैठें तो उत्तम होगा। वहीं देवी को सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद पहले अपने गुरु का स्मरण करें। इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं। ध्यान के बाद देवी या अपने गुरु से स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें।