होलकर सेना के लश्कर मंदिर में आते थे पूजा के लिए, तो नाम पड़ गया जैन लश्करी मंदिर, तेरापंथी मंदिर विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध, जानिए शहर के जैन मंदिरों को

Suruchi
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इंदौर। इंदौर शहर अपनी धार्मिक विरासत के लिए काफी प्रचलित है। शहर में हर धर्म के धार्मिक स्थल काफी सुंदर और प्रसिद्ध है। महावीर जयंती के अवसर पर अगर हम बात शहर के जैन मंदिरों के करें तो इनका इतिहास और इनकी निर्माण शैली काफी अद्भुत है। शहर में रामाशाह मंदिर करीब डेढ़ सौ साल पुराना है, तो गांधी नगर स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में भगवान महावीर की तीन फीट की पदमासन प्रतिमा है दिगंबर जैन समाज के अनुयाइयों के लिए इस मंदिर का बहुत महत्व है। इसी के साथ पीपली बाजार क्षेत्र में श्वेतांबर जैन समाज का मंदिर में भगवान आदिनाथ की सफेद पाषाण की मूर्ति है। तो 200 साल पहले शहर के पश्चिम क्षेत्र के गोराकुंड में बना दिगंबर जैन लश्करी मंदिर आस्था का केंद्र है।

जानकारों के मुताबिक होलकर शासनकाल में व्यापार व्यवसाय के लिए जैन समुदाय के लोग राजस्थान से शहर आए, कुछ समय के बाद शहर के मल्हारगंज क्षेत्र में स्थित रामाशाह मंदिर का निर्माण जैन समुदाय के लोगों द्वारा करीब 150 साल पहले किया गया था।दिगंबर जैन समाज के अनुयाइयों की आस्था का केंद्र है यह मंदिर। यहाँ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ और 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर और कुल 80 मूर्तियाँ विराजित हैं। यहाँ नेमीनाथ भगवान की पद्मासन प्रतिमा प्रमुख है। यहां पर जैन धर्म के अनुयायियों की काफी आस्था है।

गांधी नगर स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में मूलनायक के रूप में भगवान महावीर विराजित है।

शहर के दक्षिण में गांधी नगर स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर में भगवान महावीर की तीन फीट की पदमासन प्रतिमा है। मंदिर का निर्माण 1965 में हुआ था। जानकारों के मुताबिक यह शहर का सबसे पहला भगवान महावीर का मंदिर है जहां मूलनायक के रूप में भगवान महावीर विराजित है। मंदिर मैं कई पीड़ित आते हैं जहां उनकी सेवा की जाती है। मंदिर परिसर में भगवान महावीर के सिद्धांत के बारे में बताने के लिए एक पाठशाला लगती है, जिसमें बच्चों को भगवान के सिद्धांतों के बारे में बताया जाता है। इसी के साथ शिक्षकों द्वारा बच्चों को लौकिक शिक्षा के साथ ही जैन धर्म की शिक्षा भी दी जाती है। साथ ही यहां ग्रंथालय में 1500 जैन धर्म से जुड़ी पुस्तकें हैं। औषधालय के माध्यम से लोगों का उपचार किया जाता है।

पीपली बाजार क्षेत्र में श्वेतांबर जैन समाज का सबसे प्राचीन मंदिर, यहां भगवान आदिनाथ की सफेद पाषाण की मूर्ति है।

लगभग 150 साल पहले पीपली बाजार क्षेत्र में श्वेतांबर जैन समाज का सबसे प्राचीन मंदिर स्थापित किया गया। इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की सफेद पाषाण की मूर्ति है। इस मंदिर में भगवान महावीर स्वामी की मूर्ती के साथ 40 से ज्यादा मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। महावीर जयंती और अन्य प्रमुख अवसरों पर मंदिर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी के साथ शकर बाजार स्थित तेरापंथी मंदिर पर विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 14 इंच की यह प्रतिमा चंदाप्रभु भगवान की है। कहा जाता है कि करीब सौ साल पहले छोटे सराफा में एक दिगंबर जैन मंदिर था। उसमें आग लग गई तब मंदिर उसमें जल गया, यह मूर्ति उसमें थी।इस मूर्ति को किसी तरह बचाकर तेरापंथी मंदिर में स्थापित किया गया। यह जैन धर्म के लोगों के बीच आस्था का केंद्र है।

गोराकुंड में बना दिगंबर जैन लश्करी मंदिर काफी प्रचलित है

इसी के साथ शहर में जैन धर्म के कई प्राचीन और अद्भुत मंदिर मौजूद है। शहर मे जैन धर्म को मानने वालों के बीच लगभग 200 साल पहले शहर के पश्चिम क्षेत्र के गोराकुंड में बना दिगंबर जैन लश्करी मंदिर काफी प्रचलित है यहां हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की 1800 साल से ज्यादा पुरानी काले पाषण की तीन फीट ऊंची खड्गासन प्रतिमा है।मंदिर में पांच बेदियां और कुल 151 प्रतिमाएं है। मंदिर के नाम के पीछे कहा जाता है कि बहुत साल मंदिर में होलकर सेना के लश्कर में शामिल जैन धर्म को मानने वाले लोग पूजा-अर्चना के लिए आते थे इसलिए इस मंदिर का नाम दिगंबर जैन लश्करी मंदिर पड़ गया।