इंदौर के सहकारिता विभाग पर सालों से भूमाफियाओं का ही कब्जा रहा है, जिसके चलते गृह निर्माण संस्थाओं के बड़े-बड़े घोटालों के उजागर होने के बावजूद अधिकांश पीडि़तों को न्याय नहीं मिल सका और सालों से वे चप्पलें ही घिसते रहे हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के दावे करते हैं, दूसरी तरफ इसके सबसे बड़े गढ़ सहकारिता विभाग से ही भूमाफियाओं का दखल खत्म नहीं करवा पाते। इंदौर के जमीनी जादूगर और भूमाफिया ने सहकारिता विभाग को अपने कब्जे में ले रखा है और जब भी कोई अधिकारी सख्ती से जांच-पड़ताल शुरू करता है, तो उसका तबादला करवा दिया जाता है। अभी इसका ताजा शिकार उपायुक्त सहकारिता मदन गजभिये बने हैं, जिन्होंने कई गृह निर्माण संस्थाओं की गड़बडिय़ां पकड़कर जांच शुरू की। वहीं प्रशासन ने भी कई संस्थाओं के बड़े घोटालों को उजागर करने का सिलसिला शुरू किया, जिसके चलते विभागीय मंत्री के जरिए उपायुक्त का तबादला करवा दिया और उनकी जगह भूमाफिया अपनी पसंद के अफसर गुना के किसी बबलू सातनकर को इंदौर ले आए। श्री गजभिये ने इस बात से भी इनकार किया कि उन्होंने खुद तबादला भूमाफियाओं के दबाव के चलते करवाया, बल्कि उनका कहना है कि वे तो अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे और किसी का कोई दबाव-प्रभाव उन पर नहीं था, जिसके चलते वे अपना तबादला खुद मांगे। वे तो तमाम संस्थाओं की गड़बडिय़ों की जांच कर अधिक से अधिक पीडि़तों को न्याय दिलवाने के काम में जुटे थे। हालांकि कोरोना के चलते अवश्य यह काम प्रभावित हुआ, लेकिन अब फिर शासन-प्रशासन के निर्देश पर जांच प्रक्रिया तेज कर दी गई थी , उसके पहले ही तबादला कर दिया गया। अब नया अफसर 6 महीने तक को घोटालों की फाइलों को समझने के ही प्रयास करेगा और भू माफिया के इशारे पर अगर भेजा गया है तो भूखंड पीड़ित वैसे ही चक्कर खाते रहेंगे.
राजेश ज्वेल