इंदौर : इंदौर में भूमाफियाओं के खिलाफ चल रहे प्रशानिक अभियान की गति तेज होती जा रही है। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को अवैधानिक रूप से खरीद फरोख्त के गौरखधंधे के खुलासे के बाद कब्जाई जमीन मुक्त करवाई जा रही है। प्रशासन की सख्ती का खौफ भूमाफियाओं में देखा जा रहा है। इसी खौफ के चलते जिन लोगों ने संस्था सदस्यों के हक की जमीन खरीद ली थी वे जमीनों को सिरेंडर करने की पेशकश करने लगे है।
प्रशासन ने देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की अयोध्यापुरी, मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था की पुष्प विहार कॉलोनी, जाग्रति गृह निर्माण संस्था की राजग्रहि कॉलोनी की जमीन गैर सदस्यों से मुक्त करवाने की कार्रवाई की थी। इसी कड़ी में रविवार को देवी अहिल्या संस्था की श्री महालक्ष्मी नगर में केम्प लगा लगाया गया। पैतिस साल से ज्यादा समय से अपने हक के लिए लड़ रहे पीड़ित सदस्यों ने प्लॉट संबंधी दस्तावेज जमा करवाए। हालांकि प्रशासन को अभी रजिस्ट्रियां शून्य करवाने जैसा बड़ा काम करना शेष है। इसके बगैर सदस्यों को प्लॉट मिलना संभव नहीं।
एडीएम ने बंधाई उम्मीद
श्री महालक्ष्मी नगर के पीड़ित सदस्यों की सहायता के लिए गठित कमेटी द्वारा लगाए गए केम्प में एडीएम डॉ अभय बेडेकर भी पहुंचे। एडीएम ने मौके पर मौजूद सदस्यों को कहा कि हम लोग एक साथ खड़े है। यह बात समझने की जरूरत है कि कानून सम्मत क्या है और सर्वजन हित में क्या है। कोई बात ऐसी हो सकती है जो सदस्यों के हित में तो हो मगर कानूनन पूरी तरह गलत हो। ऐसे में हमे सोचना होगा कि हमारा कदम क्या हो। श्री महालक्ष्मी नगर में 8 लोगों ने गलती से या चोरी से रजिस्ट्रियां करवाई है। इन रजिस्ट्रियों को हम शून्य करवा रहे है आगे का काम सोसायटी को तय करना है।
200 करोड़ की जमीन पर आठ लोगों का कब्जा
देवी अहिल्या संस्था की श्री महालक्ष्मी नगर की जमीनों पर आठ लोगों के नाम अवैधानिक रूप से रजिस्ट्रियां की गई। इस काम में संस्था मेनेजर विमल लुहाड़िया उर्फ विमल काका, रणवीरसिंह सूदन आगे थे और पर्दे के पीछे सारा खेल सुरेंद्र संघवी, बॉबी छाबड़ा और दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा का था। 20 एकड़ से ज्यादा की जमीन का वर्तमान भाव 200 करोड़ से ज्यादा है। रंगून गार्डन को ध्वस्त किए जाने के बाद अन्य खरीददारों में खौफ का माहौल है।
चार संस्थाओं के नाम कैसे हुई जमीन ?
जिन लोगों के नाम पर जमीन हुई है उनमे परी गृह निर्माण संस्था, अप्सरा गृह निर्माण संस्था, सन्नी गृह निर्माण संस्था और रजत गृह निर्माण संस्था शामिल है। सहकारिता अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि समान उद्देश्य वाली संस्थाएं आपस में जमीन खरीदने का व्यवहार नहीं कर सकती। फिर भी इंदौर में कई संस्थाओं में इस तरह के खेल हुए। क्यों इन अवैधानिक सौदों पर कार्रवाई नहीं हुई इसका जवाब सहकारिता विभाग के उस वक्त के जिम्मेदारों से लिया जाना चाहिए। चार संस्थाओं के अलावा भूमाफियाओं ने बेस्टेक इंडिया प्रा.लि. गुड़गांव, क्यूशारहॉक टेक्नोलॉजी प्रा.लि., मिरिंडा और मूवमेंट्स जैसे संस्थानों की भी जमीन बैची थी।
श्री महालक्ष्मी नगर की फैक्ट फाइल –
देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था
कॉलोनी – श्रीमहालक्ष्मी नगर
जमीन – 67.908 एकड़
कुल सदस्य -1800
रजिस्ट्री – 1200