कृष्णा गुरुजी सोशल वेलफेयर सोसाइटी की अपील- ऐसे मनाए गणेश उत्सव

Akanksha
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गणपति बप्पा मोरिया
इस साल covid19 महामारी की वजह से गणपति उत्सव शायद उस प्रकार ना मनाया जा सके जैसे कि हर हर वर्ष होता है| परंतु इससे इस उत्सव की महिमा कम नहीं हो जाती अपितु हम सबके लिए यह समझने की जरूरत है की गणपति हम सबको क्या संदेश दे रहे हैं कि किस प्रकार हम इस वर्ष यह उत्सव मनाए|

प्रथम दिवस – “जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा”
आज के दिन एक सुपारी के रूप में मुझे मेरी कल्पना कर विराजित करें या फिर मूर्ति रूप में मेरी पूजा आरती श्रद्धा भाव से करें| विशेष ध्यान रखें कि आप इस पूजा अर्चना में अपने माता पिता को साथ रखें (यदि आप किसी अन्य शहर में हैं तो उनका आशीर्वाद लें)| मैंने अपने माता पिता को अपना पूरा संसार माना और मुझे इस पद की प्राप्ति हुई| उसी प्रकार आप अपने माता पिता को अपना भगवान मानते हुए यदि कोई मनमुटाव है तो उसे भी बुलाते हुए इस 10 दिवसीय कार्यक्रम को उनके साथ मिलकर श्रद्धा पूर्वक मनाएं|

द्वितीय दिवस – “अंधन को आंख देत”
आज के दिन जिस प्रकार भी आप अंध आश्रम में सामर्थ्य अनुसार अपनी सहायता पहुंचा सकें वह कार्य अवश्य करें और उन अंध-विकलांग लोगों के गणपति बनें|

तृतीय दिवस – “अंधन को आंख देत”
आज मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लें और नेत्रदान का फॉर्म भर कर किसी के जीवन का गणेश बने| इसके अतिरिक्त नेत्रदान के लिए अन्य लोगों को प्रेरित करें, यही मेरी सबसे बड़ी पूजा होगी|

चतुर्थ दिवस – “कोडियन को काया”
इस दिन आप प्रयत्न करें कुष्ठ आश्रमों में अपनी सहायता पहुंचाने का और अधिकाधिक लोगों को इस शुभ एवं उदार कार्य के लिए प्रेरित करने का |

पंचम दिवस – “बांझन को पुत्र देत”
आज जबकि विज्ञान इतनी उन्नति कर चुका है कि हम आईवीएफ के द्वारा महिलाओं की प्रजनन क्षमता को विकसित करने की योग्यता रखते हैं, जरूरत है तो जरूरतमंद लोगों में इसके लिए जागरूकता लाने की और वही दायित्व उठाना आज आपके द्वारा मेरी पूजा होगी|

षष्टम दिवस – “निर्धन को माया”
किसी निर्धन के लिए सबसे बड़ा धन शिक्षा है जो उसे गरीबी के कुचक्र से बहार निकल सकता है| आइए आज हम प्रण लें कि कम से कम एक निर्धन की शिक्षा का जिम्मा हम अपने कन्धों पर लेंगे और जितना अधिक अपने सामर्थ्य के अनुसार कर सके वह करेंगे|

सप्तम दिवस – “निर्धन को माया”
आज हमें एक और प्रतिज्ञा लेनी है कि हम कम से कम एक निर्धन व्यक्ति के रोजगार या व्यवसाय का सहारा बनने की कोशिश करेंगे और दिशा निर्देशन करेंगे।

अष्टम दिवस – “विघ्न हरो देवा”
आज के दिन मैं चाहता हूं आप समर्पित करें जल संचयन के नाम| जल ही जीवन है| हम अपने घर में,आस-पड़ोस में, सोसाइटी में, कॉलोनी में और जहां भी हो सके जल संचयन का अभियान शुरू करें और इस प्रकृति के विघ्नहर्ता बने|

नवम दिवस – “विघ्न हरो देवा”
वृक्षारोपण आने वाले वक्त की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है| क्या हम इस मुहिम का हिस्सा बनकर इस संसार के विघ्नहर्ता की भूमिका निर्वाह कर सकते हैं|

दशम दिवस – “दीनन की लाज रखो शम्भू पुत्र सँवारी, मनोरथ को पूरा करो जाऊं बलिहारी”
आज विसर्जन का दिन है और इस समारोह का अंतिम दिवस है| आप मुझे विसर्जित जरूर करेंगे पर पिछले 9 दिन में किए गए सभी कामों से मुझे इस संसार के विभिन्न क्षेत्रों में, लोगों में और अपने दिल में सदा सदा के लिए स्थापित कर लेंगे| आज के दिन मैं चाहता हूं कि आप यह वचन लें की ऊपर किए गए सभी कामों में से कम से कम एक प्रण को / एक काम को आप अपने साथ पूरे वर्ष निभाते चलेंगे|

कितनी सार्थक लगती हैं ईश्वर के मुख से निकली ये पंक्तियाँ –
तू करता है जो तू चाहता है पर होता है जो में चाहता हूँ, तू कर वो जो में चाहता हूँ और होगा वो जो तू चाहता है|
जय गणपति देवा

आइये, इस प्रकार गणपति के इस पर्व पर, हम कृष्णा गुरूजी के सानिध्य में, गणेश जी की आरती को चरितार्थ करें| कृष्णा गुरुजी का कहना है की कलियुग में कभी गणेश जी ने धरती पर आ कर किसी को आंखे नही दी। पर अपनी आरती के माध्यम से वो आपको संदेश दे रहे है कि किसी के जीवन के गणपति आप किस प्रकार बने| इस पर्व के अवसर पर गुरूजी के मार्गदर्शन में प्रतिदिन विषय चर्चा के साथ ध्यान भी होगा और होगी गणपति आरती हर रोज़ एक अलग देश में| कार्क्रम में जुड़ने के लिए ज़ूम लिंक –
https://us02web.zoom.us/j/9826070286

प्रतिदिन 8:30 pm (IST)

(‘कृष्णा गुरूजी’ youtube चैनल और फेसबुक पर लाइव)

सविनय निवेदन – कृष्णा गुरूजी सोशल वेलफेयर सोसाइटी