Indore News : कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर में एक नवजात शिशु को जन्म के 8वें दिन भर्ती कराया गया। उसका वज़न 1900 ग्राम था और उसे गंभीर संक्रमण हुआ था। यह मामला एक घातक कीटाणु के खिलाफ सफल मेडिकल इलाज को दर्शाता है, जो हज़ारों कमज़ोर नवजात शिशुओं के लिए आशा की किरण है।
शिशु के ब्लड कल्चर से पुष्टि की गयी कि उसे एमडीआर-क्लेबसिएला हुआ है। क्लेबसिएला न्यूमोनिया नामक बैक्टीरिया एक आम और गंभीर रोगज़नक़ है जो नवजात शिशुओं में संक्रमण का कारण बनता है। खास कर मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट के. (एमडीआर-केपी) सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
नवजात शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व होती है, जिससे उन्हें नोसोकोमियल संक्रमण आसानी से पकड़ सकता है। ईएसबीएल-उत्पादक के. (एमडीआर-केपी) सेप्सिस दुनिया भर में बढ़ता दिखाई दे रहा है, एनआईसीयू में इसके ही अधिकांश मामले सामने आए हैं। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर में नियोनेटोलॉजी की कंसल्टेंट डॉ. श्रुति पुरोहित ने कहा, “इस तरह के जटिल मामले में सही समय पर प्रभावी उपचार होने की महत्वपूर्ण भूमिका है जो कि नवजात शिशु की देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
उन्होंने आगे कहा, “शिशु में प्लेटलेट काउंट बहुत ही कम था, जिसका इलाज सिंगल डोनर प्लेटलेट्स से किया गया था। प्लेटलेट काउंट को ठीक करने के बाद, स्पाइनल फ्लूइड टेस्ट से आंशिक रूप से इलाज किए गए जिससे मेनिन्जाइटिस(मस्तिष्क में संक्रमण) की पुष्टि की। इससे एंटीबायोटिक उपचार में समायोजन हुआ ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दवा सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक प्रभावी रूप से पहुँचे।”
इस मामले पर बात करते हुए कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर के उपाध्यक्ष श्री सुनील मेहता ने कहा, “यह मामला जोखिम में पड़े नवजात शिशुओं को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करने हेतु हमारे समर्पण को दर्शाता है। हमारी टीम की त्वरित सोच और विशेषज्ञता इस शिशु के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण थी।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर में, हम नवजात शिशु देखभाल में अग्रणी हैं और उन्नत उपचार और बेहतर परिणाम प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लगातार किए जा रहे शोध और उत्कृष्टता के वादे के साथ, हम नवजात मृत्यु दर को कम करने और शिशुओं व उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य प्रदान करने का प्रयास करते हैं। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर वास्तव में आपकी सभी नवजात शिशु देखभाल आवश्यकताओं के लिए एक वन-स्टॉप डेस्टिनेशन है।”
मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क में संक्रमण) के लिए इलाज की वजह से इस नवजात शिशु को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा। इलाज के दौरान, बच्चे पर पोस्ट-मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क में संक्रमण) हाइड्रोसिफ़लस और ब्रेन एब्सेस जैसी जटिलताओं पर बारीकी से नज़र रखी गई। हर सप्ताह में क्रेनियल अल्ट्रासाउंड और सिर के बढ़ने के माप सामान्य रहे। शिशु की तबियत स्थिर और न्यूरोलॉजिकल रूप से ठीक होने के बाद घर भेजा गया। साथ ही न्यूरोडेवलपमेंटल फॉलो-अप और सुनने की क्षमता का मूल्यांकन के लिए नियोजित कार्यक्रम दिया गया।
नवजात शिशुओं को सेप्सिस की बीमारी जन्म के बाद पहले 28 दिनों में हो सकती है और यह अक्सर घातक होती है। हर साल पांच लाख शिशु इसके शिकार हो जाते हैं। यह एक गंभीर संकट है। क्लेबसिएला, खास कर इसका मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट स्ट्रेंस (एमडीआर-केपी) एक बड़ा खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ईएसबीएल-उत्पादक क्लेबसिएला को सबसे बड़ा खतरा बताया है। दुनिया भर के एनआईसीयू में इसके बढ़ने से नवजात शिशुओं की बीमार पड़ने और मृत्यु दर का जोखिम बढ़ा है।