फार्मकार्ट के उन तकनीकी समाधानों और कार्यों की जानकारी जिन्हें प्रधानमंत्री ने सराहा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात की ७०वीं कड़ी में बड़वानी से शुरू की गई कृषि नवाचार समाधान कंपनी फार्मकार्ट के कार्यों और उसके द्वारा लॉकडाउन में किसानों के हित में किये गए प्रयासों की सराहना की है ।

फार्मकार्ट ग्रामीण किसानों को निम्न तकनीकी समाधान प्रदान करता है:

UIC (यूआईसी):
२०१९ में, जब फार्मकार्ट ने अपना ई -कॉमर्स प्लेटफॉर्म लांच किया और तब हजारों ग्रामीण किसानों को कंपनी के पहले तकनीकी समाधान यानी यूआईसी की भी सौगात मिली।
यूआईसी किसान की नौ अंकों की डिजिटल पहचान है। हर यूआईसी उपभोक्ता के पास अपना यूआईसी कार्ड होता है जिसकी चिप में उसकी हर जानकारी मौजूद होती है। इसमें नाम, पता, फ़ोन नंबर के अलावा उसके खेत की मृदा रिपोर्ट, उसकी पिछली खरीद के आधार पर उसके मनपसंद उत्पाद, डिलीवरी लेने का वक़्त जैसी जानकारी भी शामिल होती है। जब भी कोई किसान फार्मकार्ट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपना नौ अंकों का यूआईसी कोड डालता है तो उसकी जानकारी के आधार पर उसके खेत और पसंद के अनुरूप उत्पादों के सुझाव स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं। इस तरह यूआईसी उसकी उत्पाद का चुनाव करने में मदद करता है, चुनाव के बाद किसान जब चेक आउट करता है तब यूआईसी से ऑनलाइन भुगतान भी हो जाता है। किसान अपने यूआईसी को किसी भी राशि से रिचार्ज कर सकते हैं। एक तरह से ऑनलाइन खरीद और तकनीक से अनिभिज्ञ किसान के लिए यूआईसी एक सिंगल स्टेप चेक आउट प्रणाली है। साथ ही, उत्पाद के सुझाव और चुनाव में मदद के कारण यह उसके डिजिटल एग्रोनोमिस्ट की भूमिका भी निभाता है।

U2U डिलीवरी (यूटूयू डिलीवरी) :
फार्मकार्ट के सामने अगली चुनौती थी – उत्पादों की ग्रामीण इलाकों में सही पतों और समय पर डिलीवरी। ग्रामीण किसानों का ई -कॉमर्स से दूर रहने का एक कारण यह भी है कि ज्यादातर ई -कॉमर्स कंपनियां दूर-दराज़ के इलाकों में डिलीवरी ही नहीं करती हैं । कंपनी ने सबसे पहले आसपास के इलाकों में २४-३६ घंटों में डिलीवरी करना शुरू किया पर यह काफी नहीं था, इसके विस्तार की आवश्यकता थी। गांवों में लास्टमाइल डिलीवरी हमेशा से ही एक चुनौती रही है। कूरियर सेवाओं से सामान पहुँचाने में न्यूनतम ७ -१० दिन लगते हैं और आंतरिक वितरण सेवाएं बहुत महंगी भी होती हैं।

किसानों के सर्वे के दौरान ग्रामीण संस्कृति की जानकारी ही फार्मकार्ट के नए डिलीवरी मॉडल की नींव बनी। गाँवों में, सभी एक दूसरे से परिचित होते हैं। लोगों में एक मजबूत सामुदायिक भावना होती है। ग्रामीण आबादी का एक हिस्सा हर दिन किसी न किसी उद्देश्य से आस-पास के शहरों में जाता है। वह इन यात्राओं का उपयोग अपने साथी ग्रामीणों की मदद करने और उनके लिए शहरों से कुछ खरीद कर लाने के लिए भी करते हैं। इस सांस्कृतिक पहलू का उपयोग करके ही यूटूयू डिलीवरी को बनाया गया है। फार्मकार्ट की यूटूयू डिलीवरी एप के माध्यम से कोई भी सुविधाजनक समय पर अपने गाँव या समुदाय में उत्पादों को पिक करके वितरित कर सकता है। जो भी अपने समुदाय में किसी उत्पाद को सफलतापूर्वक डिलीवर करता है उसे वितरण के लिए भुगतान भी किया जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है और सामुदायिक स्तर पर संसाधन अनुकूलन की ओर भी यह एक बड़ा कदम भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80 प्रतिशत किसानों को अतिरिक्त आय की आवश्यकता होती है। इस सेवा को उपयोगकर्ता के लिए और भी सुविधाजनक बनाने के लिए फ़ार्मकार्ट ने शहरों के बाहर राजमार्गों पर पिक-अप पॉइंट भी बनाए हैं।

एग्री निदान:
फार्मकार्ट के कृषि विशेषज्ञ किसानों की मदद के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। किसान कॉल करके इन विशेषज्ञों से अपनी समस्याओं का निवारण प्राप्त कर सकते हैं।

रेंट4फार्म:
फार्मकार्ट के माध्यम से किसान बड़े कृषि उपकरण भी किराए पर ले सकते हैं। अक्सर यह उपकरण छोटे किसानों के लिए बहुत महंगे होते हैं और इनका उपयोग सिर्फ कृषि सीजन में होता हैं। जो किसान इन्हें खरीद पाते हैं उनके लिए भी यह एक बहुत बड़ा निवेश होता है। इन उपकरणों के रखरखाव पर तब भी खर्च करना पड़ता है, जब यह उपयोग में नहीं लाए जाते।
रेंट4फार्म एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ से कोई भी इन कृषि उपकरणों को सर्टिफाइड सप्लायर से किराए पर ले सकता है। यह सप्लायर और किसान दोनों के लिए फायदे का सौदा है।

लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी: कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन में सब कुछ थम गया था तब फार्मकार्ट ने कपास और सब्जियों के बीज, कीटनाशक और सिंचाई उपकरणों की डिलीवरी किसानों तक सफलतापूर्वक की। खरीफ बुवाई के मद्देनज़र कृषि सामग्री की यह घर पहुँच सेवा की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में की है। स्तिथि की गंभीरता को भांपते हुए फार्मकार्ट ने लॉकडाउन के प्रथम चरण में ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, क्योंकि बुवाई में देरी का सीधा असर किसानों की फसल पर पड़ता है। इन तैयारियों में अधिकारियों से डिलीवरी के लिए बहार जाने की अनुमति और किसानों को लॉकडाउन में भी दी जाने वाली इन सेवाओं की जानकारी शामिल थी।

आवश्यक अनुमति प्राप्त होने के बाद, फ़ार्मकार्ट ने फोन और वेबसाइट पर आर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिए और कंपनी ने लॉकडाउन में अपनी पहली डिलीवरी अप्रैल के आखिरी सप्ताह में की। लॉकडाउन के दौरान, मध्यप्रदेश के बड़वानी, खरगोन और धार जिलों के 350 स्थानों पर लगभग 6,000 पैकेज डिलीवर किए गए। फार्मकार्ट के प्लेटफार्म के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान लगभग ४०,००० किसानों को फार्मकार्ट के उत्पाद उपलब्ध थे। बड़वानी, खरगोन और धार जिले मालवा और निमाड़ क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं, जो मध्य प्रदेश के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र माने जाते हैं। मध्यप्रदेश भारत के 10 शीर्ष कपास उत्पादक राज्यों में शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिलीवरी महत्वपूर्ण थी क्योंकि बुवाई में देरी से उत्पादकता और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। बड़वानी, खरगोन और धार जिले के किसान मई के अंत तक कपास की बुवाई खत्म कर देते हैं। बुआई में देरी से फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता प्रभावित होती है। मध्यप्रदेश के कुल कपास उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत इन तीन जिलों से ही आता है। फार्मकार्ट की डिलीवर में हरी मिर्च और करेले के बीज भी शामिल थे। इस दौरान, इन सब्जियों के बीज वितरण भी महत्वपूर्ण थे क्योंकि मिर्च की नर्सरी मई के पहले सप्ताह में तैयार की जाती है और मध्यप्रदेश में लगभग 90 प्रतिशत मिर्च की बुवाई मई के अंत तक होना जरूरी माना जाता है। इन सब्जियों को अगर मई में न बोया जाये तो किसानों को वांछित परिणाम नहीं मिलते है और वह लाभ से भी वंचित रह जाते हैं।