नई दिल्ली। 2020 में विश्व में कोरोना के हाहाकार के बाद से दुनिया के साइंटिस्ट covid-19 की वैक्सीन बनाना में लग गए जिसके बाद से कोवैक्सिन और कोविशील्ड (Covaxin & Covishield) दो वैक्सीनों को मंज़ूरी मिल चुकी है। साथ ही, दुनिया भर में कई वैक्सीनें आधिकारिक तौर पर अप्रूव हो चुकी हैं। लगभग इन सभी वैक्सीनों के डेवलपमेंट के पीछे किसी न किसी महिला वैज्ञानिक (Women Scientists) का ख़ास किरदार रहा है। दुनिया को महामारी से मुक्त करने में विज्ञान और रिसर्च में आगे आईं इन महिलाओं के बारे में जानिए।
के समुति : कंपनी की रिसर्च और डेवलपमेंट विभाग की प्रमुख डॉ. सुमति की भूमिका- भारत में मंज़ूर हुई भारत बायोटेक निर्मित कोवैक्सिन के डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण रही है। डॉ. सुमति ने जीका और चिकनगुनिया के खिलाफ वैक्सीन बनाने में भी अपना खास योगदान दिया था और इस बार कोविड के खिलाफ वैक्सीन डेवलपमेंट में भी वह हैदराबाद बेस्ड कंपनी की कोर टीम में रहीं।
सारा गिलबर्ट : ब्रिटेन की वैक्सीन विशेषज्ञ सारा ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन डेवलपमेंट में प्रमुख किरदार निभाया है, जिसकी मंज़ूरी मिलने के बाद भारत का सिरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड का उत्पादन करेगा। सारा तीन जुड़वां बच्चों की मां हैं और वैक्सीन के ट्रायल में उनके तीनों बच्चों ने उनकी सहायता करने के लिए हिस्सा लिया. दिन रात वैक्सीन के लिए मेहनत करने वाली सारा की टीम को वैक्सीन बनाने के लिए यूके से 22 लाख यूरो की ग्रांट मिली थी।
नीता पटेल : नीता ने मैरीलैंड में मुख्यालय रखने अमेरिकी वैक्सीन डेवलपमेंट कंपनी नोवावैक्स में अग्रणी मॉलीक्यूलर वैज्ञानिक के तौर पर भूमिका निभाई। उनकी वैक्सीन टीम को पूरी तरह महिला टीम बताया गया। बता दें कि उनकी टीम द्वारा डेवलप वैक्सीन अब भी ट्रायल के अंतिम चरण में है मगर इस वैक्सीन को आइडिया पर बेस्ड बताया गया ह। जानियस कही जाने वाली नीता गुजरात के एक गांव कि रहने वाली हैं। उनके पिता टीबी के शिकार थे और बचपन से ही उनका डॉक्टर बनने का सपना था।
कैटलिन कैरिको : हंगरी की इस महिला वैज्ञानिक का नाम ‘फाइज़र’ और ‘बायोएनटेक’ की वैक्सीन के पीछे रहा।यह वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायलों में 95 प्रतिशत असरदार पाई गई इस वैक्सीन के लिए कैटलिन की भूमिका यह रही कि जब आर.एन.ए. तकनीक को वैक्सीन के लिए अव्यावहारिक आइडिया माना जा रहा था, तब 66 साल की कैटलिन ने इसकी वकालत अपने करियर की शर्त पर की और कामयाबी के तौर पर वैक्सीन दुनिया भर में अग्रणी साबित हुई।
कैथरीन जेनसेन : बायोएनटेक और फाइज़र वैक्सीन के डेवलपमेंट के कार्यक्रम में जर्मन वैज्ञानिक कैथरीन ने भी मुख्या भूमिका निभाई। ज़ूम मीटिंगों में 650 लोगों की टीम के साथ हर वक्त जुड़कर दिन रात वैक्सीन बनाने में जुटी रहीं, कैथरीन पहले एचपीवी और न्यूमोकल वैक्सीन की रिसर्च में भी शामिल रही हैं। कैटलिन कैरिको के साथ मिलकर वैक्सीन के लिए कैथरीन ने mRNA के आइडिया पर काम किया।
ओज़लेम टूरेसी : बायोएनटेक में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और जर्मन बिज़नेसवूमन ओज़लेम और उनके पति उगुर सहीन दोनों ही उस वैक्सीन के पीछे रहे, जो उनकी कंपनी और फाइज़र ने मिलकर डेवलप की. अमेरिका और यूके में इस वैक्सीन को मंज़ूरी मिली,जिसमे पिछले तीन दशकों की काबिलियत और करीब दस महीनों की कड़ी मेहनत रही।
किज़मेकिया कॉर्बेट : मैरीलैंड में स्वास्थ्य के नेशनल इंस्टीट्यूट स्थित वैक्सीन रिसर्च सेंटर में वायरोलॉजिस्ट अफ्रीकी अमेरिकी डॉक्टर किज़मेकिया कोरोना के खिलाफ बनी टीम में अग्रणी वैज्ञानिक हैं। इस सेंटर को कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने के एजेंडा से बनाया गया। कोविड 19 के खिलाफ दो वैक्सीनों के लिए बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के साथ किज़मेकिया की टीम ने काम किया।
लीसा जैक्सन : अमेरिका में मॉडर्ना और एन.आई.एच के फेज़ 3 ट्रायलों की प्रमुख रहीं डॉ. लीसा को टाइम पत्रिका ने उनके बेहतरीन वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए कोट किया था। यह वैक्सीन काफी असरदार पाई गई mRNA-1273 वैक्सीन के ट्रायल के पहले फेज़ में भी लीसा ने ही अहम भूमिका निभाई थी और इस बारे में स्टडी भी की थी।
हैनेक शूटमेकर : एम्सटरडम की यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डच वैज्ञानिक हैनेक जॉनसन एंड जॉनसन की जैनसेन वैक्सीनों के कार्यक्रमों और वायरल वैक्सीन खोज के लिए ग्लोबल हेड हैं। एच.आई.वी. की वैक्सीन पर रिसर्च जारी रखते हुए नीदरलैंड्स में कोविड वैक्सीन डेवलपमेंट ट्रायलों में 57 साल की हैनेक महत्वपूर्ण रहीं।
एलेना स्मोलयरचक : एलेना एक रूसी वैज्ञानिक हैं और मॉस्को की यूनिवर्सिटी में मेडिसिन क्लीनिकल रिसर्च केंद्र में डायरेक्टर हैं। चर्चाओं में रही रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V की स्टडी को एलेना के सामने ही अंजाम दिया गया। रूस में वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए एलेना ही मुख्य रिसर्चर रहीं।