जानें कब है दशा माता व्रत, इस पूजन विधि से करें माता को प्रसन्न, होती है घर की दरिद्रता दूर

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नई दिल्ली : इन दिनों त्योहारों का दौर लगातार जारी है. ऐसे में बात की जाए दशा माता पूजन कि जो, शीतला सप्तमी के दो दिन बाद आता है। तो आपको बता दे कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को दशा माता का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागन महिलांए अपने घर की दशा सुधारने के लिए यह व्रत करती है, जिससे घर पर आई विपदा व सारी समस्याएं दूर हो जाती है और घर में सुख एवं समृद्धि आती है। बताया जाता है कि इस व्रत में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

जानें कब है दशा माता पूजन?
बता दे कि साल 2023 मे आने वाले इस व्रत को 17 मार्च, शुक्रवार को किया जाएगा।

पूजन विधि
बता दे कि इस व्रत को होली के 10 दिन बाद किया जाता है, इसके पूर्व कहीं-कहीं पर पूरे 10 दिन तक दशा माता की व्रत कथाएं सुनी जाती है। बताया जाता है कि इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है इस दौरान महिलाएं 10 कच्चे तार का धागा हल्दी में डुबोती हैं और वृक्ष के 10 फेरे लेती है तत्पश्चात धागे में 10 गाँठ लगाकर अपने गले में धारण करती है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं एक वक़्त भोजन कर सकती है। जानकारी के अनुसार इस व्रत को करने के एक दिन पहले ही घर की जरुरी चीजें खरीद लेनी चाहिए। इस दिन बाजार से कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए और ना ही किसी को कोई चीज घर की इस दिन देनी चाहिए। ऐसी परम्परा है कि यह घर की दशा सुधारने के लिए किया जाता है।

पूजन विधि व पूजन सामग्री
इस दिन नहाकर सबसे पहले पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है इस दौरान पीपल के पेड़ पर 10 हल्दी की बिंदिया लगाई जाती है। इसके बाद पुराना डोरा पीपल के पेड़ पर चढ़ा दिया जाता है और नया डोरा ग्रहण कर लिया जाता है। इस व्रत में पूजन के लिए पीपल के वृक्ष पर अगरबत्ती, दीपक, रोली, चावल, मेहंदी, हल्दी एवं वस्त्र चढ़ाएं जाते हैं और घर में सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। उसके पश्चात राजा नल एवं रानी दमयंती की कथा सुनी और सुनाई जाती है।