राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत हेतु न्यास ने प्रयास प्रारम्भ कर दिए है -अतुल कोठारी

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इंदौर: शिक्षा में परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है, नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समग्रता से क्रियान्वयन से देश की शिक्षा में परितर्वन द्वारा समाज में परिवर्तन होगा। उससे समृद्ध, सम्पन्न एवं विश्वगुरु भारत होगा। इस नीति के लागू होने से चरित्रवान, उत्तरदायी, अनुशासित एवं राष्ट्र-भक्त युवाओं का निर्माण हो सकेगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने इस शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का कार्य अपने स्तर पर प्रारम्भ कर दिया है।

न्यास के द्वारा शिक्षा नीति घोषित होने के बाद 200 से अधिक संगोष्ठियाँ, ई-संगोष्ठियाँ आयोजित करके शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु पहल की है। न्यास ने विख्यात वैज्ञानिक डॉ. विजय भाटकर जी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वयन समिति का गठन किया है तथा राज्यों के स्तर पर भी समितियों के गठन प्रारम्भ कर दिये है। मध्यप्रदेश में प्रो. रविन्द्र कान्हरे जी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। यह समितियाँ सरकारों द्वारा गठित टास्क फोर्स- विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों को शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सहयोग करेगा।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करता है कि सभी जिलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन हेतु समितियों का गठन करके क्रियान्वयन के कार्य को सुनिश्चित किया जाए। इसी प्रकार विश्वविद्यालयों के विभागों से लेकर महाविद्यालयों के स्तर पर समितियों का गठन करना, न्यास आवश्यक मानता है। विभिन्न स्तर की इन समितियों द्वारा व्यापक स्तर पर संगोष्ठियों, ई-संगोष्ठियों, के आयोजन करके समाज एवं विशेष करके शिक्षा जगत की क्रियान्वयन में भूमिका को सुनिश्चित किया जाए।

न्यास का मानना है कि जब तक देश का छात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है। इस हेतु न्यास के द्वारा “आत्मनिर्भर भारत में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका” सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक समिति का गठन करके अभियान प्रारंभ कर दिया है। अभी तक सौ से अधिक शैक्षिक संस्थाओं में प्रत्यक्ष कार्य प्रारम्भ हो चुके है।

जिसके अंतगर्त मध्यप्रदेश के झाबुआ, सागर एवं जबलपुर आदि जिलों में महत्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ हो चुका है। हमारा मानना है कि देश में उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालय एवं केन्द्रीय संस्थान मिलाकर एक हजार से अधिक संस्थान है। एक विश्वविद्यालय एक जिले का दायित्व लेता है तब समग्र देश शीध्रता से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकता है।

आगामी 21 फरवरी को अन्तरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के निमित्त देशभर में 21 से 28 फरवरी न्यास के द्वारा मातृभाषा सप्ताह मनाने का निर्णय किया गया है। कोठारी जी ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय एवं राज्य सरकारों तथा विश्वविद्यालयों सहित देश के सभी शैक्षिक संस्थानों को अन्तरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का आह्वान किया है।

न्यास शैक्षिक पाठ्यक्रमों में देश विरोधी गतिविधियों को चिन्हित कर समय-समय पर सरकार को आग्रह करता रहा है। न्यास ने अभी 7 जनवरी को मानव संसाधन विकास की संसदीय समिति के समक्ष एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों में त्रुटियों ओर विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाते हुए यह सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व के समग्र विकास को शिक्षा का आधारभूत लक्ष्य माना है।

सारे पाठ्यक्रमों का आधार इसे ही बनाया जाना चाहिए। इसी के साथ कोरोना काल में भारतीय समाज के योगदान और आत्मनिर्भर भारत संबंधी पाठ भी पाठ्यक्रमों में जोड़े जाने चाहिए। न्यास पर्यावरण शिक्षा, वैदिक गणित, शिक्षक शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में कामकाज के लिए भी प्रयत्नरत है।