जानें क्या है महिला आरक्षण बिल? नारी की सशक्तिकरण का कदम

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महिला आरक्षण बिल, जिसे “नारी शक्ति वंदन विधेयक” भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं के लिए सामाजिक और राजनीतिक साक्षरता की दिशा में है। यह बिल महिलाओं को निर्वाचनीय प्रतिनिधित्व में आरक्षित सीटों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने का मौका प्रदान करता है। इस लेख में, हम महिला आरक्षण बिल के महत्व, उद्देश्य, और इसकी मुख्य विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

महिला आरक्षण बिल का प्रस्ताव पहली बार संसद में प्रस्तुत हुआ था 1989 में। राजीव गांधी ने महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) को 1989 में पर्लियामेंट में पेश किया था। यह बिल उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत किया गया था। इस बिल का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षित सीटों की प्राप्ति को बढ़ावा देना था।

जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) को 1996 में पर्लियामेंट में पेश किया था। उनकी भाजपा की सरकार के कार्यकाल के दौरान इस बिल को प्रस्तुत किया गया था। इस बिल का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षित सीटों की प्राप्ति को बढ़ावा देना था।

अब यह महिला आरक्षण बिल का प्रस्ताव पहली बार नए संसद में प्रस्तुत हुआ था 19 सितंबर 2023 को। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्थानीय निकायों में अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देना है।

महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें: इस बिल के तहत, स्थानीय निकायों के चुनावों में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। इससे महिलाओं को उनके आरक्षित हिस्से में प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा।

सरकारी समर्थन: इस बिल को सरकार और विपक्ष दोनों द्वारा समर्थन दिया गया है, जिससे इसकी पारिति में सुविधा होने की संभावना है।

समाजिक परिवर्तन: यह बिल समाज में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है, जिससे समाज में सामाजिक और राजनीतिक साक्षरता में सुधार हो सकता है।

इस बिल के अनुसार, आरक्षित सीटों का परिसीमन और अमलन केवल जनगणना के बाद होगा, जिससे इसे 2024 के चुनावों से पहले लागू करना संभावना नहीं है। इसके प्राथमिक लक्ष्य है महिलाओं को सीटों पर प्रतिनिधित्व प्राप्त करने का मौका देना।

महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) एक महत्वपूर्ण पहल है जो महिलाओं को स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व का मौका प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समाज में और राजनीतिक साक्षरता की दिशा में सशक्त करना है। यह बिल भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है और उसे एक नयी दिशा में अग्रसर कर सकता है।