जानें ‘फंगल इंफेक्शन’ को लेकर ENT सर्जन डॉ. माधवी पटेल की राय

Shivani Rathore
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डॉ. माधवी पटेल
ईएनटी सर्जन

म्यूकार्माइकोसिस एक फंगल इंफेक्शन होता है ज्यादातर कोविड-19 में जिनको डायबिटीज है या कैंसर है या जिन्हें इम्यूनोसपरेसेंट ड्रग्स या ने दिए जा रहे हैं। इस तरह की दवाई दी जा रही हैं उनमें और अत्यधिक स्टेरॉयड का प्रयोग होने के कारण यह इंफेक्शन देखने में आता है नॉर्मल ही यह फंगस हवा में ही होती है परंतु हमें वह तकलीफ नहीं देती जब तक कि हमारी रोग से लड़ने की शक्ति अच्छी रहती है जब यह कमजोर हो जाती है तो यह फंगस हमारे नाक के द्वारा साइनस एस में पहुंच जाती हैं और धीरे-धीरे यह खून की नदियों पर असर करने लगती है और जिसके कारण टिशु नैक्रोसिस यानी कि उस जगह का किस्सा रन शुरू हो जाती है।

एक बार यह साइनस के अंदर पहुंच गई तो साइनस जो कि काफी आंखों के ब्रेन के दांतो के नजदीक है उन सभी स्थानों पर इसे फैलने में समय नहीं लगता है ऐसे मरीज जब हमारे पास आते हैं साधारण टाउन की कंप्लेंट होती है या तो वह को व्हाट्सएप हो चुके हैं अस्पताल में भर्ती रहे हैं कुछ इंजेक्शन उन्हें दिए गए उनकी शिकायत होती है या तो गाल में दर्द होना या वहां पर सुन्नता हो जाना आंखों में सूजन आंखों के मूवमेंट करने में परेशानी हो ना या डबल दिखना सिर दर्द होना दांतों में दर्द होना दांतो का ढीलापन नाक से ब्लड और काला पदार्थ निकलना ऐसे मरीजों को जाट करके देखा जाता है।

सीटी स्कैन और एमआरआई करके उस बीमारी के अंदर कितना फैला है उसके बारे में जानकारी हासिल की जाती है ऐसे मरीज को सबसे सर्वप्रथम ऑपरेशन के द्वारा उस फंगस को निकलने के लिए रास्ता देना आवश्यक होता है कभी-कभी है कॉम्प्लिकेशन इतना अधिक बढ़ जाता है कि यदि बीमारी दिमाग में फैल जाती है आंखों में अगर चली गई और आंखों की मांसपेशियों और आंखों की नसों पर अगर असर हुआ तो कई बार आंख निकालने की स्थिति भी बन जाती है।

साइना से इसको भी निकालना पड़ता है कई बार दांत और उसके ऊपर से जुड़ी हुई हड्डियों को जो सर चुकी होती है उनको निकालना पड़ता है इसमें एंटी फंगल दवाइयां एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है जो एक से लेकर कई हफ्तों तक लग सकती है परंतु इसका दुष्परिणाम किडनी और लीवर पर देखने में आता है इसलिए इसका मॉनिटरिंग भी बहुत आवश्यक होता है अभी यह कैसे अत्यधिक बढ़ रहे हैं शायद लगातार ऑक्सीजन देने के कारण ऑक्सीजन फ्लो मीटर में जो पानी भरा जाता है वह नल का पानी होता है।

ऐसा सोचने में आया है कि अंदर जा रही होगी परंतु इसकी जल्दी से जल्दी जांच करके और इलाज शुरू कर दिया जाए तो शायद हम मरीज की आंख को और ब्रेन में इसकी फैलने की संभावना को बचा सकते हैं परंतु अभी तक जिस तरह से दूसरी बीमारियों में हम मोर्टालिटी यानी की मृत्यु दर देखते हैं तो ऐसा देखने में आया है कि जो ब्रेन में चला जाता है उसमें मृत्यु दर 50% तक भी हो सकती है अतः इसे जल्दी से जल्दी करना और उसका उपचार करना अत्यंत आवश्यक होता है।