जानिए राहत इंदौरी का सफर

Akanksha
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राहत इंदौरी एक ऐसे शायर जो न केवल भारत में मशहूर थे, बल्कि उनकी शायरी विदेश में भी काफी पसंद की जाती थी। राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी थे। जोकि कपड़ा मिल के कर्मचारी थे। माता का नाम मकबूल उन निशा बेगम था। उन्होने दो बार शादी की थी। उनकी पत्नियों के नाम अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत है। उनके बेटों का नाम फ़ैसल राहत, सतलज़ राहत तथा उनकी बेटीका नाम शिब्ली इरफ़ान है।

शिक्षा
उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर से की थी। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से सन 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और सन 1975 में बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया था। जिसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी।
राहत इंदौरी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके थे। राहत इंदौरी ने महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होने शेर पेश करने शुरू कर दिये थे। देश – विदेश में उनकी शायरी के बहुत से मुरीद है।

शायरी का अंदाज

राहत इंदौरी की शायरी का अंदाज़ बहुत ही दिलकश होता है। वे अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करता हो। राहत जब ग़ज़ल पढ़ रहे होते हैं तो उन्हें देखना और सुनना दोनों एक अनुभव से गुज़रना है। राहत के भीतर का एक और राहत इस वक़्त महफ़िल में नमूदार होता है और वह एक तिलिस्म सा छा जाता है। राहत मुशायरों के ऐसे हरफनमौला हैं जिन्हें आप किसी भी क्रम पर खिला लें, वे बाज़ी मार ही लेते हैं। उनका माईक पर होना ज़िन्दगी का होना होता है। यह अहसास सुनने वाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है।

प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत

राहत इंदौरी के ना केवल शायरी बल्कि उनके गाने भी बहुत प्रसिद्ध है।
आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)
तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)
खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)
रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार)
दिल को हज़ार बार रोका (फ़िल्म- मर्डर)
एम बोले तो मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)
धुंआ धुंआ (फ़िल्म- मिशन कश्मीर)
ये रिश्ता क्या कहलाता है (फ़िल्म- मीनाक्षी)
चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फ़िल्म- करीब)
देखो-देखो जानम हम दिल (फ़िल्म- इश्क़)
नींद चुरायी मेरी (फ़िल्म- इश्क़)
मुर्शिदा (फ़िल्म – बेगम जान)