के के मिश्रा के गंभीर आरोप, वीर सावरकर ने लिखा- गोबर खाना, गोमूत्र पीना गाली है, संस्कार नहीं!

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कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा(KK Mishra) ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में गो- शालाओं के नाम पर एक विचारधारा विशेष के गोमाता विरोधी, सावरकर समर्थक जहां गो-पालन के नाम पर शासकीय अनुदान लेने के बाद भी गो हत्या, उसके चमड़े व हड्डियों का व्यापार कर रहे हैं,वहीं सरकार संघ कबीले के दबाव में ऐसे गो हत्यारों के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है और इसी दबाव के कारण धर्म के कथित ठेकेदार व गोभक्त मौन साधे हुए हैं!

यदि उक्त आरोप गलत हैं तो सरकार बताये कि भोपाल के बैरसिया स्थित बसई की गोशाला में 100 से अधिक,टीकमगढ़ में 200, विदिशा, गुना,खंडवा, छतरपुर में सैकड़ों गायों की मौत पर दोषियों के ख़िलाफ़ कौन सी दिखाई देने वाली असरकारक कार्यवाही की गई?

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गोमाता विरोधी सावरकर पर लगाये गए आरोपों को मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि उन्होंने अपने द्वारा लिखित पुस्तक “सावरकर समग्र”,भाग-7 जो प्रभात प्रकाशन की हैं, में गोमाता को लेकर कई अपमान, आपत्तिजनक व गोमाता विरोधी विचार उदृत किये हैं। मसलन, “गाय के पंचगव्य से लाभ नहीं होता,ऐसी बीमारियों में ब्राह्मण संतानों को भी गधी का दूध उपयोगी होता है, परन्तु गधा इतना उपयोगी है तो उसे पशु न मानकर देवता मानना चाहिए था।” (पृष्ठ 441), इसी प्रकार उन्होंने अमेरिका को गोकुल बताते हुए यह भी लिखा है कि “आज यदि कहीं पृथ्वी पर गोकुल होगा तो वह गोमांस भक्षक अमेरिका में है, जहां गाय को पशु मानकर पाला जाता है।”

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(पृष्ठ 443), यहीं उन्होंने एक जगह तो यह भी लिखा है कि गोमूत्र पीना संस्कार नहीं है। सावरकर लिखते हैं गोबर खाना, गोमूत्र पीना गाली है,संस्कार नहीं।” (पृष्ठ 445) इसी पुस्तक में एक स्थान (पृष्ठ 443 ) पर ही उन्होंने यह भी लिखा है कि “गाय का कौतुक करने हेतु उसके गले में घंटा बांधिए परन्तु भावना वही होनी चाहिए जो कुत्ते के गले में पट्टा बांधते समय रहती है।” यह तो सिर्फ बानगी है।इस पुस्तक में उन्होंने गोमाता को लेकर कई असहनीय तर्क भी लिखे हैं,जो उनकी गोमाता विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करते हैं।

https://twitter.com/KKMishraINC/status/1491986300827668487?t=QtZhUByPM63_c6dskLpuMw&s=08

लिहाज़ा, उनके गोमाता विरोधी विचारों से प्रेरित राजनैतिक संरक्षण प्राप्त गोशाला संचालकगण प्रदेश में गायों की हत्या,उसके चमड़े व हड्डियों का खुला व्यापार कर रहे हैं और धर्म के कथित ठेकेदार व गोभक्त मौन साधक बन चुके हैं,जो आश्चर्यजनक है। यहां मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि सावरकर को गोमाता विरोधी मैं प्रामाणिक आधारों पर बता रहा हूं। यदि मैं गलत होऊं तो सरकार मेरे विरुद्ध रासुका के तहत कार्यवाही करे।