किसी ने कहा भी है कि आप किसी की किस्मत से लड़ और जीत नहीं सकते। आज जब सांई का टिकट फाइनल हुआ तब भाजपा कार्यालय के नीचे मुख्यमंत्री की मौजूदगी में चुनाव कार्यालय का उद्घाटन चल रहा था। वहा मौजूद अधिकांश भाजपा नेता और कार्यकर्ता सांई के टिकिट को पचा नहीं पा रहे थे और सभी का यही कहना था कि किस्मत हो तो शंकर लालवानी जैसी। हर बार पद झोली में गिरा। पिछली बार भी आसानी से सांसद बन गए तो इस बार तो एक तरफा माहौल है। बस जीत का रिकार्ड ही बनाना है। वैसे तो सांई का टिकट उड़ गया था मगर मामा जी ने फिर संकटमोचक की भूमिका निभाई। शिवराज जी की शंकर का टिकट मंजूर करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहीं तो दूसरी तरफ मोहन यादव के तगड़े विरोध के बावजूद उज्जैन से पार्टी नेतृत्व ने अनिल फिरोजिया को ही उम्मीदवार बना दिया। अब मोहन भैया को अच्छे मतों से जितवाना ही पड़ेगा। छिंदवाड़ा में नकुलनाथ के सामने भाजपा ने बंटी साहू जैसे कमजोर उम्मीदवार को उतारा है। जिससे यह भी साबित होता है कि कमलनाथ की ऊपर अच्छी जुगलबंदी है। सरकार बनवाने के बदले बेटे की सीट की सुरक्षा मांगी हो और ये भी संभव है की चुनाव जीतने के बाद बेटे की पार्टी बदलवा दे, क्योंकि पिछले दिनों ऐन वक्त पर रायता फैल गया था। बहलहाल सभी 29 सीटों पर भाजपा के चेहरे तो घोषित हो गए, अब कांग्रेस पप्पूपना देखना है।
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