राज-काज: आखिर! ऐसा क्या गलत बोल गए कमलनाथ….

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दिनेश निगम ‘त्यागी’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इन दिनों प्रदेश की राजनीति के केंद्र बिंदु बन गए हैं। वे भाजपा सरकार पर हमला करें या कुछ आपत्तिजनक बोल दें, चर्चा में उनके बयान ही हैं। कमलनाथ ने जब उमंग सिंघार के बचाव में कह दिया था कि उमंग पर कार्रवाई की तो ध्यान रखना मेरे पास हनी ट्रैप कांड की ओरिजनल पेन ड्राइव है, उनका सेल्फ गोल जैसा था। अचानक पांसा पलट गया। अब कमलनाथ के दूसरे बयान चर्चा में हैं। वे कह रहे हैं कि सरकार द्वारा प्रस्तुत मौतों का आंकड़ा श्मशान घाटों-कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कारों के आंकड़ों से मेल नहीं खाता, सरकार के आंकड़ों से कई गुना ज्यादा मौतें हुई हैं तो इसमें गलत क्या है?

क्योंकि इस सच से हर नागरिक वाकिफ है। यदि कमलनाथ कह रहे हैं कि कोविड से देश और प्रदेश में जिस तरह से निबटा गया, उससे विश्व में भारत की बदनामी हुई है, इसमें भी गलत क्या है? जिस इंडियन वेरिएंट का जिक्र केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक में किया है, यदि कमलनाथ ने इसका जिक्र कर दिया तो बयान देश विरोधी कैसे हो गया? बहरहाल, कमलनाथ ने सत्तापक्ष को अपने ऊपर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर दिया है। हालांकि एसआईटी ने हनीट्रैप पेन ड्राइव प्रकरण में कमलनाथ को 2 जून को तलब कर फिर उन्हें बैकफुट पर ला दिया है।

भाजपा में कमलनाथ पर हमला करने की होड़….

कोविड-19 की व्यवस्थाओं में असफलता को लेकर एक तरफ कमलनाथ भाजपा की केंद्र एवं प्रदेश सरकार पर लगातार निशानाा साध रहे हैं, दूसरी तरफ भाजपा में उन पर हमला करने की होड़ लगी है। यह भाजपा के अंदर नेतृत्व को लेकर चल रहे सत्ता संघर्ष का नतीजा है, मंत्रिमंडल में सबसे ऊपर दिखाने की प्रतिस्पर्द्धा या कोई अन्य कारण लेकिन कमलनाथ के खिलाफ अपशब्दों तक का प्रयोग जारी है। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं। हालात ये हैं कि कोई कमलनाथ को देशद्रोही बोल रहा है तो किसी का कहना है कि वे मानसिक दिवालिएपन का शिकार हैं।

कोई कह रहा है कि कमलनाथ का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है तो किसी का कहना है कि वे इटली, चीन या पाकिस्तान के इशारे पर बोल रहे हैं। इतना ही नहीं कमलनाथ को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी एवं प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी का दावेदार बताया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश में दिग्विजय सिंह जैसे नेता ने उनका साथ छोड़ दिया है और दिल्ली में राहुल गांधी ने। सवाल यह है कि भाजपा अचानक कमलनाथ के खिलाफ इतनी आक्रामक क्यों हो गई?कमलनाथ तो किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं कर रहे। लिहाजा, इस आक्रामक आक्रमण के कारण की खोज होना चाहिए।

चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश…

कांग्रेस को बेदखल कर भाजपा ने जबसे प्रदेश में सरकार बनाई तब से कांग्रेस के निशाने पर जितने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, उससे कहीं ज्यादा कांगे्रस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया। कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने चुटकी लेते हुए सिंधिया के लापता होने का मामला एक पोस्टर के जरिए उछाला है। पोस्टर में फिल्मी गाने का उल्लेख कर सिंधिया पर तंज कसा गया है कि ‘चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए’। यह भी लिखा गया है कि ‘मत ढूंढ़ो इन्हें संकट के समय प्रदेश में, सिंधिया जी अपने निजी कार्यों से हैं विदेश में।

अपने शहर में जब सब कुछ सामान्य हो जाएगा, इनका कारवां तभी यहां आएगा। आप तो बैठिए दुबई, जनता है भरोसे राम के, चुनाव थोड़े है अभी, आम लोग आपके किस काम के।’ इससे कांग्रेस के सिंधिया के खिलाफ आक्रोश का अंदाजा लगता है। दो मंत्रियों गोविंद सिंह राजपूत एवं तुलसी सिलावट ने पोस्टर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सिंधिया जी को किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है। उन्होंने निस्वार्थ सेवा का संकल्प लिया है। वे जनसेवक के रूप में काम कर रहे हैं, उन्हें कभी भी पद की आवश्यकता नहीं। खास बात यह है कि भाजपा का कोई नेता बचाव में सामने नहीं आया।

सिंधिया को मंत्री बनाने किसकी होगी छुट्टी….

ज्योतिरादित्य सिंधिया का इंतजार जल्द खत्म होने की चर्चा है। उन्हें कभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इससे भी ज्यादा चर्चा इसकी है कि सिंधिया को मंत्री बनाया जाता है तो मंत्रिमंडल से छुट्टी किसकी होगी। फिलहाल प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत, प्रहलाद पटेल एवं फग्गन सिंह कुलस्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम का हिस्सा है। सिंधिया को एंट्री मिलती है तो इनमें से किसी एक को बाहर किया जाएगा। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर अपनी मजबूत जगह बना चुके हैं।

केंद्रीय नेतृत्व की नजर में प्रहलाद पटेल ने भी खुद को साबित किया है। जातिगत आधार पर तोमर सामान्य एवं पटेल पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनुसूचित जाति वर्ग के गहलोत भी केंद्र में मजबूत स्थिति में हैं। अब बचे आदिवासी वर्ग के फग्गन सिंह कुलस्ते। फग्गन प्रदेश में भाजपा का आदिवासी चेहरा हैं लेकिन इससे पहले उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने के बाद हटाया जा चुका है। संभावना है कि फिर उनकी छुट्टी हो सकती है और उनके स्थान पर सिंधिया को जगह मिल सकती है। पर किसी को भूलना नहीं चाहिए कि मोदी-शाह की जोड़ी चौकाने वाले निर्णय लेने के लिए जानी जाती है। इसलिए हो सकता है, यह जोड़ी अपने निर्णय से एक बार फिर सभी को चौंका दे।

कबसे इतने गुस्सैल हो गए सांसद खटीक….

हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड में अब तक अजेय रहे भाजपा सांसद वीरेंद्र खटीक की। इस समय वे टीकमगढ़ से सांसद हैं। खटीक को शालीन और लो प्रोफाइल रहकर काम करने वाला नेता माना जाता है। किसी के साथ उनकी खटपट के किस्से सुनाई नहीं पड़ते थे, लेकिन इस पारी में उनकी इमेज गुस्सैल सांसद की बन रही है। वजह यह भी हो सकती है कि पिछली बार वे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य थे, इस बार उन्हें नहीं लिया गया। ऐसे में असंतोष स्वाभाविक है। लेकिन जैसा वीरेंद्र खटीक जैसे हो गए हैं, इसकी उम्मीद कोई नहीं कर रहा था। इस बार उनकी अपने क्षेत्र के अधिकारियों, विधायकों के साथ ही पटरी नहीं बैठ रही है।

कुछ समय पहले एक बैठक में देरी से पहुंचने के कारण वे कलेक्टर से नाराज हो गए। इसकी शिकायत उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय पत्र लिख कर डाली। टीकमगढ़ जिला क्राइसेस कमेटी की बैठक में उनका विवाद भाजपा विधायक राकेश गिरी से हो गया और वे बैठक छोड़कर बाहर आ गए। कलेक्टर उन्हें मनाने आए फिर भी वे नहीं माने। दरअसल, लगता है खटीक को केंद्रीय मंत्री के नाते मिलने वाले प्रोटाकॉल की आदत पड़ गई, वैसा सम्मान न मिलने पर वे बार-बार विफर रहे हैं। खटीक को अपनी इस प्रवृत्ति को काबू में करना होगा।