किडनी से संबंधित बीमारी साइलेंट रूप से काम करती है इनमें 80% तक किडनी डैमेज होने पर सामान्य लक्षण पता नहीं चलते डॉक्टर सनी मोदी विशेष जूपिटर हॉस्पिटल

Share on:

इंदौर। हमारी लाइफस्टाइल के साथ-साथ हमारे खानपान में भी कई प्रकार के बदलाव आए हैं जिसका असर हमारी किडनी और अन्य ऑर्गन पर पड़ता है। वर्तमान समय में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और अन्य जरूरी पोषक तत्व से भरपूर बैलेंस डाइट मिलना मुश्किल हो गया है। हम जो बाहरी खाना खाते हैं यह प्रिजर्वेटिव होता है और इसमें नमक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जो हमारी किडनी पर गलत असर छोड़ती है। इसी के साथ स्मोकिंग, अल्कोहल और अन्य बुरी आदतों के चलते किडनी से संबंधित समस्या बढ़ती है वही टी ओर कॉफी का ज्यादा मात्रा में सेवन करना भी हमारी किडनी और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।लॉन्ग टाइम तक जिन्हें हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर जैसी समस्या होती है उनमें किडनी संबंधित बीमारी होने के चांस बने रहते हैं। वहीं कई लोगों में जेनेटिक रूप से भी किडनी से संबंधित समस्या सामने आती है। उसी के साथ कई लोगों में नेफ्रोटिक सिंड्रोम के चलते यूरिन में प्रोटीन और ब्लड का लीकेज होना शामिल है। यह बात डॉक्टर सनी मोदी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं वह शहर के प्रतिष्ठित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. किडनी संबंधित समस्या को कैसे पता लगाया जा सकता है इसके क्या लक्षण होते हैं

जवाब. किडनी से संबंधित समस्या की अगर बात की जाए तो यह एक प्रकार की साइलेंट डिजीज है इसमें जब तक समस्या एडवांस लेवल तक ना पहुंच जाए आसानी से पता नहीं चल पाती है। जब तक 80 से 90% तक किडनी को प्रभावित ना कर दे तब तक इसके लक्षण सामान्य तौर पर दिखाई नहीं देते हैं। वहीं जब यह एडवांस लेवल तक पहुंच जाए तो इसके लक्षण में यूरिन की मात्रा में बदलाव, कलर में बदलाव, पांव में सूजन के साथ एडवांस लेवल पर पूरी बॉडी में सूजन, लंग के आसपास पानी भरना और अन्य समस्या देखने को सामने आती है। जिस व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी स्टोन, और अन्य किडनी से संबंधित जेनेटिक समस्या हो तो उन्हें किड़नी संबंधीत चेकअप करवाने चाहिए। आमतौर पर किडनी का कार्य होता है कि बॉडी में से टॉक्सिक और वेस्ट मटेरियल को बाहर निकालना है। जब किडनी डैमेज हो जाती है और यह कार्य नहीं कर पाती तो इसका असर दूसरे पर पड़ता है। वही इसका असर कॉन्शियसनेस, पेट पर असर के चलते वॉमिटिंग, मुंह में खराब टेस्ट लगना, भूख कम लगना, हिमोग्लोबिन की कमी के चलते थाकन लगना, इचिंग होना जेसी समस्या सामने आती है।

सवाल. एडीपीकेडी किड़नी से संबंधित समस्या क्या है और किडनी से संबंधित किस प्रकार की समस्याएं सामने आती है

जवाब. ऑटोसमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (एडीपीकेडी) एक जेनेटिक विकार है। इस बीमारी में किडनी की वॉल्व में वीकनेस आ जाती है। इसमें कई सिस्ट बनने लगते हैं। यह किडनी में होने वाले सबसे आम अनुवांशिक विकारों में से एक है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण 30 और 40 वर्ष की उम्र के बीच दिखते हैं, वही किडनी के अलग-अलग प्रकार के डिसऑर्डर होते हैं जो अलग-अलग समय में पता चलते हैं। किडनी से संबंधित समस्या होने पर सही समय पर जांच कर ही इन्हें ठीक किया जा सकता है। आमतौर पर किडनी के मुख्यतः तीन काम होते हैं जिसमें पानी वेस्ट को निकालना, विटामिन डी और हिमोग्लोबिन को मेंटेन करना शामिल है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज सूरत से पूरी की वही एमडी मेडिसिन की पढ़ाई श्री एमपी शाह गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज जामनगर से पूरी की है। इसी के साथ मैंने नेफ्रोलॉजी अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई से कंप्लीट किया है। मैंने सूरत के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में कंसल्टेंट के रूप में अपनी सेवाएं दी है वही अब पिछले कुछ समय से में शहर के प्रतिष्ठित विशेष जूपिटर हॉस्पिटल नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत हूं।