छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है खरना, जानें क्या है इसका महत्व

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छठ महापर्व का दूसरा दिन “खरना” के नाम से प्रसिद्ध है, जो इस पर्व का एक अहम हिस्सा होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवासी रहते हैं और शाम को सूर्यदेव एवं छठी मैया की पूजा करते हुए विशेष प्रसाद का भोग अर्पित करते हैं। यह दिन आस्था, भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं छठ पूजा के इस खास दिन को कैसे मनाया जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

खरना 2024: कब होगा और क्या है इसका महत्व?

छठ पूजा 2024 खरना तिथि:

छठ पूजा के दूसरे दिन 6 नवंबर 2024 को खरना मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक माह की पंचमी तिथि को पड़ता है, जिसे विशेष रूप से “खरना” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवासी रहते हैं और शाम के समय विशेष पूजा-अर्चना करते हुए सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करते हैं।

खरना कैसे मनाया जाता है?

व्रत और पूजा विधि: खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहते हुए शाम को पूजा स्थल पर दीप जलाती हैं। इसके बाद, व्रती सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, बखीर, गेहूं का पेठा, और घी वाली रोटी बनाए जाते हैं। यह प्रसाद बड़े धैर्य और शुद्धता के साथ तैयार किए जाते हैं, क्योंकि इनका सेवन भगवान को अर्पित करने से पहले नहीं किया जाता।

प्रसाद का वितरण और सेवन: शाम को पूजा के बाद, व्रती और उनके परिवारजन मिलकर भगवान को अर्पित किए गए प्रसाद का भोग खाते हैं। इसके बाद, व्रती एक विशेष प्रसाद “गुड़ की बखीर” ग्रहण करते हैं, जो व्रत की शुरुआत के रूप में लिया जाता है। इसके बाद व्रती 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत करते हैं, जिसमें वे न तो अन्न खाते हैं और न ही जल ग्रहण करते हैं। इस व्रत का पालन सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है।

खरना का धार्मिक महत्व

खरना का व्रत और शुद्धता: खरना, छठ पूजा का एक अहम और श्रद्धेय हिस्सा है। इस दिन व्रति उपासना और व्रत के माध्यम से शारीरिक और मानसिक शुद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से ईश्वर के प्रति समर्पण, भक्ति, और आस्था को दर्शाता है।

प्रसाद जैसे खीर और ठेकुआ का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इन्हें सबसे पहले देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसके बाद ही व्रती इन प्रसादों का सेवन करते हैं। इस दिन किए गए पूजा और व्रत से मानसिक शांति, समृद्धि और समर्पण की भावना का विकास होता है।

ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक: खरना का व्रत जीवन में संतुलन, धैर्य और आस्था को बढ़ावा देता है। यह व्रत न केवल शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि आस्था और भक्ति से जुड़ा हुआ एक धार्मिक संस्कार भी है। इस दिन व्रती अपने सभी पापों को नष्ट करने के लिए सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।खरना छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है, जो व्रतियों के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा के माध्यम से व्रति सूर्यदेव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करते हैं। व्रत के दौरान खीर, ठेकुआ जैसे विशेष प्रसाद को तैयार करना और उसे भगवान को अर्पित करना एक श्रद्धा और आस्था का कार्य है।