काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार हुआ यह कारनामा, बदल गई वर्षों पुरानी परंपरा

Akanksha
Published on:

अधर्म पर धर्म की विजय, अनीति पर नीति की विजय, असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व विजयादशमी का दिन काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास का एक परिवर्तन वाला दिन रहा. इस दिन ऐसा पहली बार हुआ जब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सप्तर्षि आरती का अनुष्ठान अन्य स्थान पर हुआ हो.

बता दें कि विजयादशमी के विशेष अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सप्तर्षि आरती का अनुष्ठान गोरक्षपीठ में हुआ था. यह पहला मौका था जब काशी विश्वनाथ मंदिर की सप्तर्षि आरती की परंपरा यहां से बाहर गोरक्षपीठ में सम्पन्न हुई हो. इस आयोजन में पूरे समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे थे. बता दें कि सप्तर्षि आरती का अनुष्ठान रविवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ था. इस दौरान सप्तर्षि आरती के मंत्रों से गोरक्षपीठ का प्रांगण गूंजने लगा.

गोरक्षपीठ में हुई भगवान काशी विश्वनाथ की सप्तर्षि आरती को काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने समाज की धार्मिक भावनाओं में ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत करार दिया. बता दें कि देशभर में काशी विश्वनाथ सहित कुल 12 ज्योतिर्लिंग है. लेकिन सप्तर्षि आरती केवल काशी में ही होती है. धार्मिक दृष्टि से इस आरती का विशेष महत्त्व है. इस सप्तर्षि आरती की परंपरा काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्षों से निभाई जा रही है.