सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में करवा चौथ के व्रत का विशेष महत्व है। सिर्फ सुहागिन महिला ही नहीं बल्कि कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखकर अच्छा पति मिलने की कामना करती है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।
इस दिन 16 श्रृंगार करने का भी विशेष महत्व है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव परिवार की पूजा करती है। महिलाओं को इस दिन चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोलह सिंगार कर चंद्र देव और करवे की पूजा करती है।
करवा चौथ तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात 9:30 से शुरू होकर 1 नवंबर को रात 9:19 तक है ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा 1 नवंबर को शाम 5:44 मिनट से 7 बजकर दो मिनट तक की जा सकती है। उस दिन चंद्रोदय 8:26 पर होगा।
कैसे मनाया जाता है करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती है। व्रत शुरू होने से पहले सास के हाथों से सरगी ली जाती है जिसके बाद से इस व्रत की शुरुआत मानी जाती है। फिर इसके बाद रात के समय चंद्र देव और अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है। महिलाएं अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलते हैं।
करवा चौथ के दिन पूजा विधि
महिलाओं को करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। मिट्टी से गौरी और गणेश बनाएं। माता गौरी को सुहाग की चीजें जैसे की चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर आदि अर्पित करें। करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में चीनी का बुरा रखें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। शाम को गौरी और गणेश की पूजा करें और कथा सुनें। रात्रि में चंद्रमा को देख पति से आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।