Karwa Chauth 2021: इस साल कब है करवा चौथ, जानें चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और तिथि

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कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस साल 24 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा। इस दिन महिलाऐं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। साथ ही साज श्रंगार करती है। मेहंदी लगाती है। वहीं सास अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को खाकर करवा चौथ व्रत करती हैं। ये व्रत निर्जला व्रत होता है। शाम को चंद्र दर्शन के बाद महिलाऐं व्रत खोलती हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

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करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास में आता है और हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का आरंभ 21 अक्टूबर से हो रहा है, जबकि 19 नबंवर को कार्तिक मास का समापन होगा। हिंदी पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर के दिन रविवार की शाम 4 बजकर 18 मिनट से राहु काल शुरू होगा और शाम 5 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा का वृषभ राशि में गोचर करेगा। इस दिन रात 8 बजकर 7 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

Karwa Chauth 2020: Keep These Factors in Mind On the Day of Karwa Chauth,  Know the Importance of Mangalsutra

करवा चौथ पर कैसे करें पूजा

-इस दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।

-इस व्रत में पानी पीना भी मना है। इसलिए जलपान भी न करें।

-जब पूजा करने बैठें तो मन्त्र के जप के साथ व्रत की शुरुआत करें। यह मंत्र है मंत्र: ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’

-इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।

-श्रंगार के बाद भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। यहां करवे में पानी रखना जरूरी है।

-पूरे दिन का व्रत रखें और व्रत की कथा सुनें।

रात में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही अपने पति के साथ व्रत खोलें। इस दौरान पति हाथों ही अन्न और जल ग्रहण करें।

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महत्‍व
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है। संकष्‍टी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास रखा जाता है। करवा चौथ के दिन मां पारवती की पूजा करने से अखंड सौभाग्‍य का वरदान प्राप्‍त होता है। मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी कि भी पूजा की जाती है। वैसे इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस पूजा में पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है।