राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 2022 में उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या के आरोपियों में से एक मोहम्मद जावेद को जमानत दे दी। जिसे एनआईए ने 22 जुलाई 2022 को जावेद को उदयपुर से गिरफ्तार किया था। बता दें 28 जून को, पैगंबर मोहम्मद पर पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणी का समर्थन करने के लिए रियाज़ अटारी और ग़ौस मोहम्मद ने कन्हैया लाल नाम के एक दर्जी का उसकी दुकान पर सिर काट दिया था।
आरोपियों ने इस नृशंस हत्या को अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी भी दी। दोनों ने हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकुओं के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। उस दिन अपराध के कुछ घंटों बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
हत्या में जावेद की भूमिका
एनआईए के अनुसार, जावेद ने रेकी करके और हत्या से पहले अटारी और गौस मोहम्मद दोनों को उसकी दुकान पर कन्हैया लाल की मौजूदगी के बारे में जानकारी देकर हत्या की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।हमले से 8 दिन पहले रची गई थी कन्हैया की हत्या की साजिश रची। आईएसआईएस स्टाइल में सिर कलम कर कन्हैया लाल की हत्या की साजिश 20 जून को रची गई थी।
कन्हैया के हत्यारे गौस मोहम्मद ने पूछताछकर्ताओं को बताया था कि दर्जी की हत्या का फैसला एक बैठक में लिया गया था, लेकिन जो लोग बैठक में शामिल हुए थे, वे इस बात से इनकार कर रहे हैं कि इस तरह के किसी भी कदम पर चर्चा हुई थी। ग़ौस मोहम्मद ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से कन्हैया लाल का सिर धड़ से अलग करने की पेशकश की थी, साथ ही उपस्थित अन्य लोगों ने अपराध के बाद हत्यारों के परिवारों को कानूनी, साजो-सामान या वित्तीय सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की थी।
गौस मोहम्मद को 2014 में दावत-ए-इस्लामी के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा पाकिस्तान में आमंत्रित किया गया था। कराची स्थित दावत-ए-इस्लामी का मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर शरिया की वकालत करने के उद्देश्य से कुरान और सुन्नत की शिक्षाओं का प्रसार करना है। पाकिस्तान में इसके बहुत बड़े अनुयायी हैं और यह इस्लामिक गणराज्य में ईशनिंदा कानून का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।