भोपाल : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज जारी अपने बयान में कहा कि जिस समय मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण चरम पर था,स्थिति बेहद भयावह थी , अराजकता का माहौल था , उस समय मुख्यमंत्री और सरकार के ज़िम्मेदार नुमाइंदे मैदान से गायब थे ,मौन धारण किए हुए थे ,उनके पास प्रदेश को संक्रमण की इस भयावहता से बचाने के कोई उपाय नहीं थे क्योंकि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर उन्होंने कोई तैयारियां नहीं की थी ? तमाम चेतावनियो के बावजूद प्रदेश के अस्पतालों में ना बेड बढ़ाए गए , ना इलाज के इंतज़ाम किये गये , ना डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ़ की नियुक्तियाँ की गयी, ना ऑक्सीजन की आपूर्ति व उत्पादन का कार्य किया गया , ना जीवन रक्षक दवाइयों व इंजेक्शनो का पर्याप्त इंतजाम किया गया ?
जिसका परिणाम प्रदेश की जनता ने भुगता ,प्रतिदिन इसके अभाव में लोगों की जाने गयी ,प्रदेश वासियों ने हज़ारों लोगों को तड़प-तड़प के मौत के मुंह में जाते हुए देखा ,इलाज-ऑक्सीजन-बेड व इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकते हुए देखा ?
प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की खबरें भी हमने देखी।इनसे निपटने व ठोस कार्ययोजना बनाने की बजाय हमारे प्रदेश के मुखिया नौटंकियो में ही लगे रहे ,कभी स्वास्थ्य आग्रह के लिए मिंटो हॉल में बैठ जाना ,कभी मेरा मास्क-मेरी सुरक्षा जैसे अभियान चलाना ,शारीरिक दूरी के गोले बनाना ,कभी रथ पर सवार होकर बीच बाजार में निकल जाना ,जैसे कोरोना संक्रमण को बढ़ाने वाले काम ही वो करते रहे ?
आज जब दूसरी लहर का पीक धीरे-धीरे देश भर से कम हो रहा है ,तो प्रदेश के हमारे मुखिया व जिम्मेदार लोग मध्यप्रदेश में उसके घटने के पीछे अपनी पीठ को थपथपाने में लग गये हैं ? कभी इसके लिए मध्यप्रदेश के मॉडल की ,कभी जनभागीदारी मॉडल की तारीफ़ की जाती है और कहा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी इसकी प्रशंसा की है ? जबकि मध्यप्रदेश के मॉडल की सच्चाई को भी सभी ने भली-भांति देखा है ,इस मॉडल के कारण कितने लोगों की जानें गई है , यह भी सभी को पता है ? जिस जनभागीदारी मॉडल की शिवराज जी बात कर रहे हैं ,उस जनभागीदारी मॉडल की सच्चाई भी सभी को पता है कि किस प्रकार प्रदेश भर में आपदा प्रबंध समितियों में भाजपा के लोगों को ही शामिल किया गया है ,इसमें सामाजिक क्षेत्र के लोगों ,विशेषज्ञों ,बुद्धिजीवियों , डॉक्टर्स व कांग्रेस के लोगों की उपेक्षा की गयी है ,इसके उदाहरण प्रदेश भर में मौजूद है।
प्रदेश के हमारे मुख्यमंत्री रोज कोरोना संक्रमण और पॉजिटिविटी रेट कम होने ,रिकवरी रेट बढ़ने की जानकारी तो देते हैं लेकिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण से अभी भी रोज़ हो रही मौतों पर कभी बात नहीं करते ,उसके आंकड़ों पर बात नहीं करते , बल्कि सरकारी स्तर पर उसे दबाने छुपाने का खेल आज भी जारी है ? सरकार के आंकड़ों और मुक्तिधाम-कब्रिस्तान के आंकड़े व मीडिया में सामने आ रहे आंकड़ों को देखा जाए तो इसमें कई गुना का भारी अंतर सामने आ रहा है।सरकार की मंशा पर और आंकड़े छुपाने पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं ? पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ,प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी से इस संबंध में कुछ सवाल पूछते हुए इसका जवाब मांगा है-
सवाल –
-शिवराज सरकार स्पष्ट करें कि उन्होंने किस आधार पर सामान्य व अन्य बीमारियों और कोविड से हुई मृत्यु का अलग-अलग आकलन किया है ?
-जिन लोगों की सामान्य मृत्यु बताई जा रही है ,उसका आधार क्या है ? क्या इसको लेकर उनके परिवार से कोई जानकारी ली गई या सम्पर्क किया गया है क्या ?
-प्रदेश सरकार ने प्रदेश के समस्त सरकारी और निजी अस्पतालों से कोविड और नॉनकोविड से हुई मृत्यु के अलग-अलग आंकड़े लिए है क्या ?
-मध्यप्रदेश में पिछले 3 माह में मृत्यु दर क्या रही और उसमें कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है ?
-प्रदेश में पिछले 3 माह में कुल कितने लोगों की मृत्यु हुई है ?
-क्या सरकार के पास शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु के अलग-अलग आंकड़े उपलब्ध हैं ?
-ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है ,इसके आकलन की कोई व्यवस्था की गई है क्या ?
-ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग जागरूकता के अभाव में , इलाज व टेस्टिंग के अभाव में कोरोना को अन्य बीमारी समझ घर पर ही इलाज कर रहे हैं ,इसमें से कई लोगों की रोज़ मृत्यु हो रही है , उन आंकड़ों को कोरोना से मृत्यु के आंकड़ों में शामिल किया गया है क्या ?
-कोविड संक्रमित मृत व्यक्ति ,जिसकी सूचना किसी भी स्तर पर सरकार और प्रशासन को नहीं मिली , उनके आंकड़ों को शामिल करने की कोई व्यवस्था की गयी है क्या ?
-पिछले 3 माह में सरकार ने प्रदेश में हुई मौतों को लेकर घर-घर ,गांव-गांव या मोहल्ला स्तर पर कोई जानकारी एकत्रित की है या इसको लेकर कोई अभियान चलाया है क्या ?
-क्या प्रदेश के नगर निगम ,नगर पालिका ,नगर परिषद और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों ने पिछले 3 माह में प्रत्येक मृत व्यक्ति के निकट संबंधी को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है और इसकी संख्या व वास्तविक आँकड़ा क्या है ?
-क्या सरकार ने ऐसा कोई अभियान चलाया है कि प्रदेश में जिन परिवारों में भी कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है , वह निकट के नगर निगम ,नगर पालिका ,पंचायतों व परिषद में इसकी जानकारी दर्ज करा सकें ?
-मुक्तिधामो से मृत्यु की इंट्री वाले रजिस्टर क्यों हटा लिये गये है ?
– सरकार द्वारा जारी मृत्यु के आंकड़ों और कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार के आंकड़ों में जमीन आसमान सा अंतर क्यों है?
– सरकार शमशान और कब्रिस्तानों में कोविड प्रोटोकॉल से हुए अंतिम संस्कारो के आंकड़े को कोविड मृत्यु के आंकड़े क्यों नही मान रही है ?
उम्मीद है सरकार मेरे इन सवालों का प्रदेश हित में ज़रूर व जल्द जवाब देगी।