आज का दिन देश के लिए ऐतिहासिक है।बहुत समय से हर भारतवासी की आशा थी, आकांक्षा थी कि राम मंदिर का निर्माण हो।
आज से राम मंदिर का निर्माण शुरू होने जा रहा है , आज हम सभी के लिये ख़ुशी का क्षण है।
राजीव गांधी ने 1985 में ताला खोला था और यह भावना उस समय से ही जुड़ी थी।उन्होंने 1989 में कहा था कि रामराज्य लाऊंगा , राम मंदिर बनना चाहिए।यह कोई आज की बात नहीं है और आज इसका कोई श्रेय लेने की कोशिश करें तो यह गलत है।
मुझे तो खुशी होती आज जो निर्माण शुरू हुआ है , उसमें अपने देश का हर मुख्यमंत्री होता , अपने देश की हर जाति के प्रतिनिधि होते , हर धर्म के प्रतिनिधि होते।
क्योंकि यह देश किसी एक का नहीं है , उत्तर का नहीं है , दक्षिण का नहीं है , पूर्व का नहीं है ,पश्चिम का नहीं है।
आज आयोजन को सीमित किया गया , मुझे पता है कोरोना महामारी फैली हुई है लेकिन व्यवस्था कर 100-150 लोगों को बुलाया जा सकता था।हमारे देश की पहचान विभिन्नता से है , अनेकता में एकता से है।हमारे देश में कितने धर्म है , कितनी भाषाएं है , कितनी जातियां है , कितने देवी- देवता है ,यह विश्व के किसी देश में है?
यदि ऐसा किया जाता तो यह देश का नहीं , विश्व का कार्यक्रम होता। पूरा विश्व देखता कि पूरा भारत एक मत से इसके पीछे खड़ा है।