फिल्म Kaali के पोस्टर विवाद पर कालीचरण महाराज ने खोला मोर्चा, हिंदुओं के लिए अपशब्दों का किया इस्तेमाल

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डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली (Kaali) को लेकर खड़ा हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. देश के सभी राज्यों में इसका जमकर विरोध देखा जा रहा है. कई लोगों ने इस पर अपनी राय रखी है और इसी बीच कालीचरण महाराज भी इस विवाद में कूद गए हैं. उन्होंने कट्टर हिंदू विचारधारा पर जोर देते हुए यह कहा है कि जब तक हिंदू कट्टर नहीं होंगे तब तक इसी तरह से हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया जाता रहेगा. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा है कि हिंदू जाकर थाने पर प्रेम से संबंधित लोगों के खिलाफ FIR करवाएं.

बता दें कि फिल्ममेकर लीना मणिकमेकलई (Leena Manimekalai) ने 2 जुलाई को अपने डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली (Kaali) का पोस्टर शेयर किया था. इस फिल्म में काली माता के फिल्मी पात्र को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था साथ ही हाथ में LGBTQ समुदाय का झंडा भी दिख रहा था. इसको लेकर आप कालीचरण महाराज ने मोर्चा खोल दिया है और डायरेक्टर लीना को कई तरह की हिदायत दे डाली है.

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ईटीवी भारत से कालीचरण महाराज ने चर्चा की. इस चर्चा के दौरान उन्होंने हिंदुओं के लिए अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया. वह यह कहते दिखाई दिए कि पहले हिंदू शेर की तरह काम करता था लेकिन आज इस तरह का माहौल हो गया है कि हिंदू जानवर के रूप में जीवन यापन कर रहा है. उसे एकजुट होने के लिए कट्टर होना पड़ेगा. वह यहीं नहीं रुके उन्होंने आपत्तिजनक और अशोभनीय भाषा का उपयोग करते हुए यह कहा कि धर्म का अपमान सहते हुए हिंदू डरपोक हो गया है. आगे उन्होंने कहा कि 5 लाख मंदिर हिंदू होने की वजह से तोड़ दिए गए. गायों की लगातार हत्या हो रही है और लव जिहाद के मामले देशभर में देखे जा रहे हैं लेकिन फिर भी हिंदू चुप है. धर्म और देश में विध्वंस हो रहा है लेकिन हिंदू चुप बैठा हुआ है. इराक, ईरान, पाकिस्तान विभाजन होने के बाद अलग देश बन गए तब भी हिंदू चुप रहे. इस दौरान उन्होंने मंदिर के पुजारियों और हिंदुओं से यह आव्हान किया कि वह थाने पर जाकर फिल्म से संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं. क्योंकि अगर यह नहीं किया गया तो यह लोग ऐसे ही हिंदू सभ्यता का अपमान करते रहेंगे.

वहीं दूसरी और पोस्टर विवाद को लेकर फिल्म मेकर लीना मणिकमेकलई (Leena Manimekalai) का कहना है कि यह फिल्म उन घटनाओं पर आधारित है. जो उसे शाम को काली के रूप में प्रकट होती है और टोरंटो की सड़कों पर टहलती हैं. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब डायरेक्टर इस तरह के विवाद में फंसी हैं. अपनी शॉर्ट डॉक्युमेंट्री मथप्पा से उन्होंने करियर की शुरुआत की थी. 2011 में उनकी फीचर फिल्म सेंगडल सामने आई थी जिसके चलते काफी बवाल देखा गया था. इस समय भी वह कई कानूनी मामलों में फंस गई थी.