राजनीति में महेश जोशी को आखरी दम तक दोस्ती निभाने वाला नेता माना जाता था । वे अपने खासम खास लोगों की राय हमेशा लेते थे। उनके करीबी रहे पंडित कृपाशंकर शुक्ला इंदर दादा और शिवदत्त सूद से उन्हें उन्होंने अंत तक दोस्ती निभाई। महेश जोशी इस बात के लिए भी जाने जाते थे कि उन्होंने लगभग सभी अपने कार्यकर्ताओं को सक्षम बनाया।
किसी को मकान दिया, किसी को प्लाट दिया तो किसी के परिवार के लोगों की नौकरी लगवाई, महेश जोशी यह अच्छी तरह जानते थे कि अगर उनके कार्यकर्ता सक्षम होंगे तो वे उनके लिए जी जान से जुटे रहेंगे। महेश जोशी में अद्भुत संगठन क्षमता भी थी इसका उदाहरण उन्होंने कई बार पेश किया है।
इंदौर में कांग्रेस का कोई भी बड़ा आयोजन हो उसे सफल बनाने की जवाबदारी अगर महेश जोशी को दी गई तो उन्होंने इसे बखूबी निभाया। उनके पास जीवन भर कार्यकर्ताओं की कमी नहीं रही उनकी एक आवाज पर हजारों कार्यकर्ता आकर खड़े हो जाते थे । महेश जोशी कभी किसी के आगे झुके नहीं यही कारण है कि उन्हें भले ही सरकार में बड़े पद ना मिले हो लेकिन उनका रुतबा कभी भी कम नहीं रहा।
मान माना जाए तो यही सब खूबियां भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय में भी मौजूद हैं । कैलाश विजयवर्गीय भी अपने खास सिपहसालारों को कभी नहीं बदलते हैं। उनका भी यही विश्वास है कि कार्यकर्ता अगर सक्षम होगा तो उनके लिए जी जान से खड़ा रहेगा। यही कारण है कि आज इंदौर में जितने भी नेता हैं उनमें सबसे बड़ी कार्यकर्ताओं की फौज कैलाश विजयवर्गीय के पास है।
कैलाश विजयवर्गीय किसी भी आयोजन को सफल बनाने में माहिर हैं। विजयवर्गीय भी दोस्ती निभाने के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसी कई खूबियां विजयवर्गीय में भी हैं जो महेश जोशी में थीं।