किसान सम्मेलन में बोले सिंधिया, झूठे बीज बो रहा विपक्ष, आज भी लगती है समर्थन मूल्य पर मुहर

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ग्वालियर : पंजाब और हरियाणा के किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर बीते 21 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है. किसानों ने साफ़ कह दिया है कि केंद्र सरकार को नए कृषि कानून वापस लेने होंगे. किसानों के समर्थन में पूरा विपक्ष भी लगातार मोदी सरकार को घेर रहा है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने भी कृषि कानूनों के समर्थन में बड़ा दांव खेलते हुए किसान सम्मलेन की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत किसानों को कृषि कानूनों के फायदों से अवगत कराया जा रहा है.

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में किसान सम्मलेन में खुद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हिस्सा लिया है. उन्होंने इस दौरान किसान आंदोलन को संबोधित करते हुए विपक्ष पर निशाना असधा और कहा कि, विपक्षी दल किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे इसमें कामयाबी हासिल नहीं कर पाएंगे. उन्होंने दावा करते हुई कहा कि जल्द ही बातचीत के माध्यम से किसानों की समस्याएं हल होगी.

इस किसान सम्मलेन को भाजपा के दिग्गज नेता और राज्यसभा सदस्य ज्याेतिरादित्य सिंधिया ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि, सबका साथ-सबका विकास केवल नारा नहीं है, भाजपा की नीयत भी है. उन्होंने आगे कहा कि आज भी समर्थन मूल्य पर मुहर लगती है. सिंधिया ने भी किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष के रवैये को लेकर विपक्ष को लताड़ लगाई. उन्होंने कहा कि, विपक्ष किसान आंदोलन की आड़ में झूठे बीज बो रहा है. उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि, किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें.

SC ने थमाया केंद्र सरकार को नोटिस…

केंद्र सरकार को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की गई थी. एक याचिका में कहा गया था कि, दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाया जाए. इससे आम जन को कई प्रकार की समस्याएं हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने अपनी सुनवाई में केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस थमाते हुए इस मामले में गुरुवार तक जवाब मांगा है. कोर्ट ने केंद्र को आदेश देते हुए इस मामले में एक कमेटी के गठन का आदेश दिया है. इस कमेटी में किसान संगठन, सरकार और अन्य लोग शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अब यह कमेटी किसान आंदोलन का हल निकालेगी. इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि, ‘ऐसा लग रहा है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल फिलहाल नही निकलता दिख रहा है.’ बता दें कि किसान आंदोलन के मामल को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.