24 अक्टूबर को होगा एशिया का सबसे बड़ा रोप-वे का लोकार्पण

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जूनागढ़ के गिरनार पर्वत पर बना हुआ मंदिर देश का बहुत ही ऐतिहासिक विरासत के तौर पर जाना जाता है। यह पर्वत पर जाने के लिए भक्तो को 9999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं उसके बाद यहाँ के मंदिर के दर्शन होते है। लेकिन अब यहाँ आना भक्तो के लिए बहुत ही आसान हो जायेगा। गिरनार पर्वत पर देश के सबसे से बड़े रोप वे का उद्घाटन होने जा रहा है।

24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रोप वे की शुरुवात करेंगे। ऐसा बोलै जा रहा है कि यह मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का सपना साकार हुआ है। गिरनार पर्वत पर स्थित अंबाजी मंदिर तक इस रोप वे का निर्वाण हुआ है। इस रोप वे की दूरी 2.3 किमी बताई जा रही है।

7 मिनट का होगा सफर
यह रोप वे 2.3 किमी का सफर मात्र 7 मिनट में तय करेगा और इस रोप वे में 24 ट्रॉली लगाई जाएँगी। एक ट्रॉली में एक बार में 8 बैठ पाएंगे। यहाँ पर छटवा टावर सबसे ऊंचा है जिसकी उचाई लगभग 67 मीटर है। यह टावर 1000 सीढ़ियों के पास बना हुआ है। एक बार में करीब 192 लोग सफर का लुफ्त उठा पाएंगे।

प्रोजेक्ट में हुए विलंब के कारण बढ़ी लागत
भारत में यह प्रथम रोप वे है जिसमें 8 लोग एक साथ बैठ पाएंगे। शुरू में इस परियोजना का मूल खर्च 9 करोड़ होने का अनुमान था लेकिन आधुनिक टेक्नोलॉजी और तीन दशक बीत जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का खर्च 130 करोड़ तक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस योजना का संचालन ऊषा ब्रीको कंपनी करेगी।

कांग्रेस कर रही थी विरोध
जूनागढ़ में शुरू होने जा रहे इस रोपवे का कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही थी। इस रोप वे के प्रोजेक्ट को रोकने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कार्य शुरू करने का आदेश दे दिया। कांग्रेस कार्यकर्तो का तर्क था कि इस रोपवे के निर्वाण से वहां पर रह रहे जानवरो और वहां की प्रकृति पर बुरा असर पड़ेगा। इस कारण ही रोपवे के निर्वाण में देरी हुई।