संयुक्त परिवार

Mohit
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लेखक : कमलगुप्ता “विश्वबंधु”

बाबर जब हिन्दुस्तान में प्रवेश कर ही रहा था कि उसने एक पहाड़ी गांव में जगह जगह से धुआं उठते देख स्थानिय लोगों से पूछा ये धुआं क्यों उठ रहा है। तब स्थानिय लोगों ने बताया कि ये घरों में बन रहे भोजन के लिये जलाये जारहे चूल्हों का धुआं है। बस इसी बात से बाबर को विश्वास होगया की वह हिन्दुस्तान फतह कर लेगा क्योंकि उनकें यहां कबिलाई संस्कृति में सामूहिक ही खाना बनता और खाया जाता था। बाबर ने मुगलिया सल्तनत की नींव रखने में कामयाबी भी पाई ।

हमारे देश की प्राचीन काल से चली आ रही संयुक्त परिवार की संस्कृति शनै शनै क्षीण होती जा रही है। परिवार विघटित होते जारहे है। पहले परिवार में दादा, परदादा तक की पिढ़ी, भाई बन्धो सहित एक परिवार का अंग होती थी। वर्तमान में परिवार का मायना पति-पत्नी, पुत्र,अविवाहित पुत्री है । ज्यादा हुआ तो एक पुत्र व पुत्रवधू व उनके पोते-पोती होते है। संयुक्त परिवार व एकांकी परिवार के कई फायदे व नुकसान होते है मगर संयुक्त परिवार के फायदे ज्यादा है और नुकसान स्वछंदता को छोड़कर है ही नही।

संयुक्त परिवार को आवश्यकता अनुसार एक ही सांझी छत (घर) की जरुरत होती है। घर का बहुत सारा जीवनोपयोगी सरंजाम जैसे चूल्हा-चोका, परेंडा, बैठक व फर्निचर, चौक,शौचालय, टीवी रेफ्रिजरेटर, कार आदि का कामन यूज होने से कम खर्च में अच्छा जीवन जिया जा सकता है।
सबसे बड़ी बात घर में कभी ताला नहीं लगाना पड़ता है हर वक्त घर में कोई न कोई रहता होने से न तो चोरी होती है और नाही चौकीदारों की जरुरत होती है। भरे पूरे घर में कब बच्चों बड़े हो जाते पता ही नही चलता है।

संयुक्त परिवार के घर में खाने पीने का भी मजा कुछ ओर ही है। मैथी व अन्य सभी भाजीयां इसलिये खाने को मिल जाती है कि बड़ी बूढ़ी महिलाएं उन्हें सुधार देती है। साल भर के अनाज, मसाले, दलहन व तिलहन का संग्रहण किया जाता है। घर के सभी लोगों के खाने की पसंद का ख्याल रखने से व थोक में घर भर के सामान का इंतजाम करने से खान-पान का स्तर अच्छा ही रहता है।  घर में महिलाओं-पुरुषों की संख्या अधिक होने से व सभी जिम्मेदारी से काम करे तो घर के काम हाथों हाथ हो जाते है व कमाई भी अधिक होती है। घर का कोई सदस्य बिमार, असक्त व निकम्मा भी हो तो वह भी धक जाता है।

संयुक्त व बड़े परिवार का का समाज में मान-सम्मान व रुतबा भी रहता है तथा समाज में व्यवहार भी बना रहता है घर का कोई न कोई सदस्य समाज में उपस्थिति दर्ज करवा कर घर का प्रतिनिधित्व कर सकता है। संयुक्त परिवार की आय अधिक व खर्च कम होने से आर्थिक स्तर भी उॅचा होता है। आयकर में भी एच, यू, एफ, खातों जैसे प्रावधान का लाभ भी मिलता है।

संयुक्त परिवार एक सम्मेलन है, मेला है,मजमा है, बच्चों के लिये खेल का मैदान है सबके लिये आनंद का मंडप है। संयुक्त परिवार अधिकारो के साथ कर्तव्यों का निर्वहन भी मांगता। इसकी बुनियाद में प्रेम का सिंचन अति आवश्यक है। स्वार्थ, लालच, ईश्या, द्वेष व छल-कपट संयुक्त परिवार को नष्ट कर देते है। “जहां प्रीत है वहां पर्दा नहीं, जहां पर्दा है वहां प्रीत नहीं।प्रीत करके पर्दा करें यह दुश्मन की रीत है।