जम्मू-कश्मीर: आतंक की पाठशाला चलाने वाले सरकारी शिक्षक बर्खास्त

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नई दिल्ली। आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोपों सरकारी शिक्षक पकडे गए है। वहीं आतंक की पाठशाला चलाने वाले इन सरकारी शिक्षकों को हाल ही में एलजी प्रशासन ने बर्खास्त किया है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय एजेंसी की ओर से तैयार जांच रिपोर्ट में इन शिक्षकों का कच्चा चिट्ठा बताया गया है। वो युवाओं को बरगलाकर पत्थरबाज से लेकर आतंकी बना रहे थे। किसी ने आतंकी हमलों में दहशतगर्दों की मदद की तो कोई जमात जैसे संगठनों के लिए देश विरोधी गतिविधियों को चला रहा था।

अब्दुल गनी तांत्रे : आपको बता दें कि, आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के साथ साल 1990 से कनेक्शन हैं। वहीं जांच रिपोर्ट के अनुसार तांत्रे 1990 में अनंतनाग के हांजी मोहल्ला बटेंगू मिडिल स्कूल में शिक्षक तैनात था। उसने कुछ महीनों के अर्जित अवकाश (अर्न्ड लीव) का आवेदन किया और अपने छोटे भाई निसार अहमद तांत्रे को अस्थायी शिक्षक की तैनाती दिला दी और फिर बाद में उसे भी स्थायी करवा दिया गया। वहीं दोनों भाइयों ने मिलकर युवाओं को बरगला कर आतंकवाद में घुसा दिया था।

मोहम्मद जब्बार पर्रे: जमात के विद्यार्थियों जिसे जमात-ए-तुल्बा विंग कहा जाता है में युवाओं को उकसाकर पत्थरबाजी में झोंकता था। पर्रे ने कई आतंकियों के जनाजे का आयोजन करवाया। मिली जानकारी के अनुसार उसने बिजबिहाड़ा में आतंकियों के जनाजे में अकेले ही एक दर्जन से ज्यादा युवाओं को आतंकी तंजीम में शामिल करवा दिया। वह मस्जिदाें से भी युवाओं को कट्टरपंथी बनाता रहा। पर्रे ने अनंतनाग जिले में कई आतंकी हमलों में जैश-ए-मोहम्मद की मदद की।

रजिया सुल्तान: तीसरा नाम है रजिया सुल्ताना का जो अनंतनाग में खीरम स्कूल की मुखिया थी। रजिया को अपने पिता की वजह से यह पद दिया गया था। रजिया के पिता सुल्तान भट्ट जमात-ए-इस्लामी समर्थक थे, लेकिन सुल्तान को धोखे के शक पर आतंकियों ने 1996 में मार डाला था। सुरक्षा एजेंसियों ने रजिया पर नजर रखी और उसके जमात व दुख्तरान-ए-मिल्लत से कनेक्शन होने की रिपोर्ट सरकार को सौंपी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार रजिया जमात व दख्तरान-ए-मिल्लत के लिए सभाएं करतीं और शिक्षक होने के बावजूद लोगों को देश विरोध के लिए बरगलाती।

सकीन अख्तर: सकीन अख्तर अनंतनाग के गोरजन शीरम प्राइमरी स्कूल में अस्थायी शिक्षक थी, जिसे 2008 में नियमित किया गया था। सकीन ने शिक्षक रहते दुख्तरान-ए-मिल्लत की गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दिया, जो देश विरोध को बढ़ावा देती। सरकार से वेतन लेकर सकीन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठनों के इशारे पर काम कर रही थीं।