नई दिल्ली : 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों द्वारा ढहाई गई बाबरी मस्जिद मामले में बुधवार को सीबीआई की स्पेशल अदालत ने अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. कुछ लोग जहां इस फ़ैसले के विरोध में नज़र आए तो वहीं कुछ लोगों ने इस फ़ैसले का दिल खोलकर स्वागत किया. कांग्रेस पार्टी और हैदराबाद के सांसद ओवैसी इस फ़ैसले से नाख़ुश नज़र आए तो वहीं शिवसेना ने अदालत के फ़ैसले का स्वागत किया है. वहीं इस केस में मुस्लिम पक्ष की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने सीबीआई की स्पेशल अदालत के ऐतिहासिक निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है.
ओवैसी और कांग्रेस के रवैये की भांति ही जफरयाब जिलानी भी इस फ़ैसले से ख़फ़ा-ख़फ़ा दिखें. जिलानी ने कहा कि, मुसलमान इस मामले के पीड़ित है. कुछ ऐसे लोग जिनके घरों को जला दिया गया था. मुलिम पक्ष की तरफ से हमने इसे लेकर कोर्ट में आवेदन दिया गया था, हालांकि आवेदन को खारिज कर दिया गया था. जबा जफरयाब से यह सवाल किया गया कि सीबीआई स्पेशल अदालत के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका कौन दाखिल करेगा ? तो इसका जवाब देते हुए जिलानी ने कहा कि, इन बिंदुओं पर बाद में बायत करेंगे.