आईआईएम इंदौर द्वारा आयोजित डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पर भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यकारी पाठ्यक्रम का समापन 28 अक्टूबर, 2023 को हुआ। इस छह दिवसीय कार्यक्रम में होंडुरास, क्यूबा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, ग्वाटेमाला, अल साल्वाडोर, डोमिनिकन गणराज्य, सूरीनाम, बोलीविया, ब्राज़ील, जमैका, लाओ पीडीआर, नाइजीरिया, मालदीव, कंबोडिया, मिस्र, वियतनाम और श्रीलंका के 30 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने इस पाठ्यक्रम के सफल समापन पर प्रसन्नता व्यक्त की। वरिष्ठ अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए, उन्होंने ज्ञान साझा करने, विविध संस्कृतियों को अपनाने और वैश्विक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संस्थान के दृढ़ समर्पण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “वसुधैव कुटुंबकम’ के दृष्टिकोण को अपनाते हुए, हम दुनिया को एक परिवार मानते हैं और ज्ञान हम सभी को जोड़ता है। शिक्षा हम सभी को एकजुट करने और संस्कृतियों को साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है” । उन्होंने भाग लेने वाले 20 देशों के साथ भारत के संबंधों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पाठ्यक्रम हम सभी को नया सीखने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने और ज्ञान के प्रसार की साझा यात्रा के माध्यम से वैश्विक संबंधों को मजबूत करने के अवसर देते हैं और आईआईएम इंदौर आगे भी इस प्रकार के पाठ्यक्रम आयोजित करता रहेगा।
प्रो. सौम्य रंजन दाश ने भी वसुधैव कुटुंबकम के अभिन्न भारतीय दर्शन पर जोर देते हुए सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि सामूहिक सहयोग के माध्यम से ही समाज की बेहतरी हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा, “एक साथ काम करके, हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जो सभी के लिए कल्याण, समृद्धि और सभी की प्रसन्नता को बढ़ावा दे।” प्रो. दाश ने इस प्रोग्राम को विचारों के आदान-प्रदान, हमारे देश की नीतिगत प्राथमिकताओं को समझने और भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने की मानवीय आकांक्षाओं को पहचानने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच माना।
कार्यक्रम समन्वयक प्रो. राजहंस मिश्रा ने कार्यक्रम के संदर्भ में डिजिटल युग और बुनियादी ढांचे के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ भविष्य में भी प्रासंगिक कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए आईआईएम इंदौर के समर्पण पर जोर दिया, जिससे अंतर-सांस्कृतिक अनुभवों से नया सीख सकें और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा मिले।
पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों पर सत्र आयोजित हुए, जिनमें आधार, यूपीआई और डिजीलॉकर, नागरिक-केंद्रित और व्यावसायिक अनुप्रयोगों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं की खोज शामिल थी। इसके साथ ही कुछ सत्रों में साइबर सुरक्षा, एआई-संचालित वैयक्तिकरण और राष्ट्रीय सांस्कृतिक ऑडियोविज़ुअल अभिलेखागार, अंडर-सी इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को भी शामिल किया गया।
कार्यक्रम के दौरान निम्नलिखित विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए:
1. प्रो. हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर
2. प्रो. राजहंस मिश्रा, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, आईआईएम इंदौर
3. डॉ. राजेश शर्मा, आईटीएस, जिनेवा, स्विट्जरलैंड में भारत के स्थायी मिशन में तकनीकी विशेषज्ञ
4. श्री मुकेश मंगल, आईटीएस, डीडीजी – दूरसंचार विभाग
5. प्रो. राजेंद्र सोनार, आईआईटी बॉम्बे
6. श्री प्रतापानंद झा, निदेशक, (कल्चरल इन्फार्मेटिक्स) आईजीएनसीए
7. श्री संजय कुमार वार्ष्णेय, आईटीएस, डीडीजी – दूरसंचार विभाग
8. श्री धर्म वीर सिंह, एडीजी, आयकर, सीबीडीटी
9. श्री नीरज कुमार, आईटीएस, डीडीजी और मिशन डायरेक्टर (ब्रॉडबैंड मिशन), दूरसंचार विभाग
10. श्री शिरीष जोशी, सीबीओ एवं अध्यक्ष (नेटवर्क एक्सपेंशन), ओएनडीसी
11. श्री आमोद कुमार, आईएएस, डीडीजी यूसेज, यूआईडीएआई
12. श्री रवि सोनी, सीईओ, ग्रूस और ग्रेड
13. प्रो. के. श्रीनिवास, आईसीटी एवं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट, एनआईईपीए के प्रमुख
14. श्री सौरभ तोमर, प्रमुख – यूपीआई स्टैक, एनपीसीआई
15. श्री विक्रम पगारिया, आईआरएस, संयुक्त निदेशक, एनएचए
16. सुश्री काम्या चंद्रा, मुख्य रणनीति अधिकारी, वित्त मंत्रालय की डीपीआई सलाहकार
17. श्री शीतांशु चौरसिया, आईएफएस, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, भोपाल
इस व्यापक कार्यक्रम के समापन ने अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए आईआईएम इंदौर की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। आईआईएम इंदौर आने वाले समय में भी एक उज्जवल, अधिक समावेशी भविष्य के लिए निरंतर विस्तार करने, और सहयोग के समृद्ध वातावरण को बढ़ावा देने के अपने समर्पण पर दृढ़ है।