जानकारी के अनुसार, भारत के संविधान में किसी विशेष कानून को पुरुषों के समर्थन में नहीं बनाया गया है। संविधान ने समाज में समानता और न्याय के मूल सिद्धांतों को प्रमोट करने का प्रावधान किया है, जिससे हर व्यक्ति को उनके लिए समान अवसर मिल सके।
संविधान में महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के भी कई कानून हैं, जैसे कि सती प्रथा के खिलाफ कानून, दहेज प्रथा के खिलाफ कानून, और तलाक के कुछ विधियों का सुधार करने के कानून। यह कानून महिलाओं के लिए सुरक्षा और समानता को प्रोत्साहित करते हैं।
संविधान भारतीय समाज के सभी वर्गों और लोगों के लिए समान अधिकार और कर्तव्यों का पालन करने का प्रावधान करता है और भारतीय समाज में समाजिक समरसता को प्रोत्साहित करता है।
भारत का संविधान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें देश के संविधानिक सिद्धांत और नैतिक मूल्यों को स्थापित किया गया है।
हिन्दू अधिनियम: हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए यह कानून उनके विवाह, पृष्ठ-परिवार, और उनकी संपत्ति के संबंध में महत्वपूर्ण नियम और विधियों को व्यवस्थित करता है।
भारतीय साक्षरता कानून: यह कानून साक्षरता के अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है और शिक्षा का महत्व दर्शाता है।