सिंधिया गद्दार हैं या देशभक्त, डीएनए टेस्ट होना जरूरी….

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महेश दीक्षित-

ग्वालियर रियासत के महाराज श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया गद्दार हैं या देशभक्त हैं या क्या हैं…? इसकी सच्चाई जानने के लिए अब श्रीमंत का डीएनए टेस्ट होना जरूरी है…क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही श्रीमंत के चाल, चरित्र और चेहरे की अपने-अपने तरीके से परिभाषा और व्याख्या कर रहे हैं। उन पर चरित्रारोपण कर रहे हैं। जनता को बरगलाने और भरमाने के लिए। अपने-अपने राजनीतिक शुभ-लाभ के लिए। अब देखिए ना, जो सिंधिया पांच महीने पहले तक भाजपा के लिए गद्दार थे, वो अब उसकी आंखों के सितारे हो रहे हैं। देशभक्त हो गए हैं।

हालांकि जब भाजपा और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार को पानी पी-पीकर और चिल्ला-चिल्लाकर देश का गद्दार बता रहे थे, उसके संदर्भ अलग थे। शिवराज ने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान तमाम चुनावी सभाओं में सीना ठोकर कहा था कि, यदि सिंधिया परिवार ने 1857 में भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ न देकर वीरांगना लक्ष्मीबाई का सहयोग किया होता, तो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास कुछ और होता। लेकिन जैसे ही सिंधिया कमलनाथ की सरकार गिराकर भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार बनवाई, सिंधिया को लेकर भाजपा के स्वर और दर्शन दोनों बदल गए। अब भाजपा सिंधिया को सिर पर उठाए-उठाए फिर रही है। उन्हें लोकप्रिय जनसेवक और सच्चा देशभक्त बता रही है। ऐसे में समझ नहीं पड़ता कि, भाजपा पहले सिंधिया को लेकर जो कथन और तथ्य बयां करती रही है, वो सही थे, या फिर अपनी सरकार बचाने की खातिर अब भाजपा द्वारा सिंधिया को देशभक्त होने का तमगा दिया जा रहा है, वो सही है।

इसी तरह से अब कांग्रेस श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार-गद्दार चिल्ला रही है। निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की सत्ता हाथ से जाने के गम में कांग्रेस गद्दार होने की तोहमत सिंधिया पर लगा रही है। सिंधिया गद्दार हैं, का नारा गढ़ रही है। लेकिन सिंधिया जब तक कांग्रेस में रहे, तब तक पूरी पार्टी के महाराज कहलाए। कांग्रेस ने उन्हें अपने सिर-आंखों पर बिठाए रखा। यही नहीं कांग्रेस ने उनके सुदर्शन, चमकीले चेहरे को पार्टी का चेहरा बनाकर, न केवल मध्यप्रदेश में 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा, बल्कि भाजपा से पंद्रह साल की सत्ता छीनकर कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार भी बनाई। लेकिन जैसे ही मार्च-2020 में श्रीमंत ने अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामा, सिंधिया कांग्रेस के लिए पराए हो गए। गद्दार हो गए। अब कांग्रेस सर्वत्र जनता के मन यह स्थापित करने में लगी है कि, सिंधिया वाकई गद्दार हैं।

खासतौर से ग्वालियर-चंबल अंचल में जहां-जहां सिंधिया और महल का प्रभाव है, वहां-वहां जनता-जर्नादन के भीतर यह प्रतिष्ठित करने की कोशिश कर रही है कि, भाजपा पहले जो कहती थी कि, वो सही था, और सिंधिया वाकई गद्दार हैं। इसके साथ आने वाले दिनों में ग्वालियर-चंबल संभाग की 16 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया गद्दार हैं- का नारा देकर अपना चुनावी मुद्दा बनाया है। हाल ही में ग्वालियर में आयोजित भाजपा के सदस्यता कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस ने विरोध स्वरूप जयविलास पैलेस महल के सामने राजनीतिक प्रदर्शन कर सिंधिया गद्दार हैं, के नारे भी लगाए।

ऐसे में सवाल है कि सिंधिया क्या हैं…? क्या वाकई गद्दार हैं, या जनसेवक हैं, देश भक्त हैं ? या फिर भाजपा और कांग्रेस, और उसके नेता अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए सिंधिया के चाल,चरित्र और चेहरे को अपने-अपने तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। श्रीमंत के प्रभाव का लाभ लेने या उनके प्रभाव को खत्म करने के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं…। जो भी हो ऐसे में सिंधिया के चरित्र का डीएनए टेस्ट होना जरूरी….ताकि जनता भी जान सके कि, सिंधिया वाकई क्या हैं…गद्दार हैं या देशभक्त…?