इंदौर। करीब 5 हजार लोगों को रोजगार देने वाला कोरोगेटेड बॉक्स उद्योग इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है। इसका कारण ये है कि कच्चे माल के रूप में उपयोग आने वाले पेपर की कीमत 7 से 8 रुपए प्रति किलो बढ़ गई है। वहीं इसकी उपलब्धता पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। इंदौर में करीब डेढ़ सौ कोरोगेटेड बॉक्स यूनिट हैं जिनका मुनाफा लगभग शून्य हो गया है।
ऐसा नहीं है कि ये दिक्कत इंदौर में खड़ी हुई है, पूरे देश में कोरोगेटेड बॉक्स उद्योग इस समस्या से जूझ रहा है। गत महीनों से कोरोगेटेड बॉक्स बनाने के काम आने वाले क्रॉफ्ट पेपर एक ओर से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, वहीं दूसरी ओर इसकी कीमतों में 7 से 8 रुपए प्रति किलो की वृद्धि हो गई है। लिहाजा, ये उद्योग भीषण संकट का सामना कर रहा है। मप्र कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सुरेका, उपाध्यक्ष केके खोरे, सचिव अमित जैन और कोषाध्यक्ष मनीष रांका ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे इस उद्योग को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। आॅर्डर की कमी का सामना कर रहे उद्योग को चलाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अचानक कोरोगेटेड बॉक्स बनाने के काम आने वाले क्रॉफ्ट पेपर के दाम में 7 से 8 रुपए तक प्रति किलो की वृद्धि कर दी गई जिससे इस व्यवसाय में मुनाफा लगभग शून्य हो गया है। स्थिति ये हो गई है कि निर्माता अपनी रनिंग कास्ट की पूर्ति और कर्मचारियों का वेतन देने की स्थिति में भी नहीं है। बिजली की आपूर्ति भी बराबर नहीं हो रही है। इस वक्त जबकि कोरोना जैसी महामारी के बाद ये उद्योग उठने की कोशिश कर रहा है, काफी राहत की जरूरत है लेकिन उल्टे इसके सामने नए संकट आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पूरे मप्र में 20 हजार मैट्रिक ट्रन प्रति माह कच्चे माल की जरूरत होती है और अब दाम बढ़ने से स्थिति भयावह हो गई है।
…तो बंद हो जाएंगी कई यूनिट्स
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक, अब कोरोगेटेड बॉक्स की दरों में 18-20 प्रतिशत की वृद्धि करना आवश्यक हो गया है। अन्यथा यूनिट्स बंद हो जाएंगी। अभी ये उद्योग 5 हजार लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है। यदि रेट इसी तेजी से बढ़ते रहे तो निर्माता के सामने अपनी यूनिट बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। इससे रोजगार में भी कमी आ जाएगी। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ और रेट बढ़ते रहे तो व्यापारियों को भीषण संकट का सामना करना पड़ेगा। व्यापारियों का एक वर्ग मानता है कि क्रॉफ्ट पेपर के दाम और बढ़ेंगे। ऐसा हुआ तो स्थिति भयावह हो जाएगी।
चीन की नीति से बिगड़ रहा व्यापार
एसोसिएशन के अनुसार, चीन की नीति से ये व्यापार बिगड़ रहा है। कच्चे माल के रूप में चीन से पेपर आता था जो बंद हो गया है। लेकिन चीन यहां से बना हुआ माल खरीद रहा है। गुजरात के मोरवी के केंद्र से जितना माल बना हुआ है, वो सारा का सारा चीन खरीद रहा है। इसलिए मप्र समेत विभिन्न राज्यों में आपूर्ति लगभग खत्म है जिसका खामियाजा निमार्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
कोरोगेटेड बॉक्स उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदू
’ बड़ा उपभोक्ता कोरोगेटेड बॉक्स भाववृद्धि को रोकने रिवर्स आॅप्शन का सहारा ले रहा है।
’ इस उद्योग की समस्त इकाई एमएसएमई के अंतर्गत आती हैं। लेकिन क्रेता इकाईयों द्वारा समय पर भुगतान नहीं किया जाता है। इससे उद्योग को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
’ पैकेजिंग उद्योग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जैसे दवा, आटोमोबाइल्स, खाद्य उद्योग आदि का निर्यात बिना पैकेजिंग संभव नहीं है।
’ देश में वेस्ट कलेक्शन की व्यवस्था भी सुदृढ़ होना चाहिए।
’ पैकेजिंग उद्योग ने देशभर के कोविड अस्पतालों में टेबल, चेयर, टेबल आदि की आपूर्ति की है जो न केवल ईको फ्रेंडली है बल्कि आसान और सुविधाजनक है।