नाईट लाइफ से रोज शर्मसार होता इन्दौर, नेताओं की चुप्पी हैरतभरी

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नितिनमोहन शर्मा। आवश्यकता है, पब के बाहर बेवड़ी लड़कियों को उठाकर अपनी कार में रखने वाले मेहनती ईमानदार और स्वस्थ नवयुवकों/नवयुवतियो की। तुरंत संपर्क करें–इंदौर के सोए हुए जिम्मेदार, कुशल, कर्तव्यपरायणता के लिए मशहूर, नेतृत्व से…!!

सोशल मीडिया पर दो दिन से वायरल हो रहा ये एक आम इंदौरी का ये सन्देश शहर के राजनैतिक नेतृत्व को शायद ही शर्मसार करें..!! क्योकि वे सब देखकर भी इतनी गहरी चुप्पी ओढे हुए है कि जैसे ये शहर उनका नही और न वे शहर के नेता हैं। नेता तो है वे लेकिन शहर के नही। सिर्फ अपने दल के नेता हैं। वोट मांगते वक्त जिसके चरणों मे पड़े थे, वे इंदौरी उनके लिए कोई मायने नही रखते। उनकी जरूरत फिर आने वाले चुनाव में पड़ेगी। तब फिर एक बार पैर में पड़े नजर आएंगे। एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक आप सब लोग और ये शहर भगवान भरोसे हैं। आप लोगो के लिए कोसने के लिए पुलिस प्रशासन है। खबरदार जो शहर के राजनीतिक नेतृत्व से कोई सवाल किया तो..!! कर भी लिया तो कौन सा उत्तर मिल जाएगा। शहर का राजनीतिक नेतृत्व आपके प्रति नही, अपने दल के प्रति निष्ठावान हैं। और दल फिलहाल सत्तारूढ़ हैं। नतीजतन इस शहर में चाहे कितना भी बुरा हो जाये, नेताओ के मुंह सीले ही रहेंगे। जनता के वोट से जननेता बनने वाले चुनाव जीतने के बाद दलीय निष्ठाओं ओर अनुशासन में बंध जाते हैं। फिर गलत-सही कुछ भी हो, मोन ही लाभ का सौदा हैं। भले ही शहर की प्रतिष्ठा रोज धूलधूसरित हो।

क्या नेता ऐसे होते है? नेता तो उसे कहते है जो अपने मतदाता के सुख दुःख में साथ खड़ा हो। जो अपने शहर में आये दिन हो रही शर्मसार घटनाओं पर मौन है, वो नेता हैं? कतई नही। वो केवल कुर्सी प्रेमी है। वो केवल पॉवर प्रेमी हैं। वो पद के दम पर तीन पीढ़ियों के लिए बंदोबस्त जुटाने वाला हैं। वो तब ही बोलेगा जब उसकी साख, कुर्सी, कमाई पर असर होगा। तब वो दलीय निष्ठा और अनुशासन को भी ताक में रखने में देर नही लगाएगा। आपकी परेशानी पर उसके पास अपने दल, संगठन के अनुशासन का सुपर हिट जवाब होगा।

ये ही तो हो रहा आपके मेरे इन्दौर में। करीब दो दशक से सत्ता वाली भाजपा के विधायक, सांसद, पार्षद, नगर-जिला इकाई के पदाधिकारी, निगम, मंडल, आयोग, प्राधिकरण से जुड़े नेताओ की शहर में फ़ौज है। लेकिन कभी आपने इन्हें आपसे जुड़े किसी विषय पर दो टूक बोलते देखा? क्या इन सबको नही दिख रहा है कि शहर आये दिन नाईट लाइफ, नाईट कल्चर और पब-बार संस्कृति से रोज शर्मसार हो रहा हैं। वो भी देशभर में। आखिर कितनी घटनाओं का जिक्र करे बार बार? और क्यो करे? किसके लिए करे?

कांग्रेस नाम का भी शहर में एक दल है। भूले तो नही न आप सब। मजे की बात है कि वो विपक्ष में हैं। यानी सत्तारूढ़ दल के राज में होने वाली गड़बड़ियों के लिए निरंतर मुखर, आंदोलित होने वाला। जनता के लिए मैदान पकड़ने वाला। लेकिन विपक्ष की भूमिका तो कलम निभा रही है। विपक्ष गहरे अंधेरे में गुमशुदा जैसा हैं। विपक्ष स्वयम से ही लड़ने में इतना मशरूफ़ है कि आपके हमारे लिए क्या खाक लड़ेगा।

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तो आप इंतजार करो किसी बड़ी, विभत्स और देश को हिला देने वाली किसी बड़ी घटना का। शायद तब आपके शहर का सत्तारूढ़ राजनैतिक नेतृत्व और कथित विपक्ष अपनी चुप्पी तोड़े और ” सरकार” से दो टूक कह सके कि ये मेरे इन्दौर में क्या तमाशा लगा रखा हैं? आखिर इतना कितना रेवेन्यू पब बार और नाईट कल्चर के जरिये सरकार के खजाने में जा रहा है जिसके कारण इन्दौर को दांव पर लगा रखा हैं? उसकी साख, पहचान और तासीर को जमीदोंज किया जा रहा हैं? कब तक इन्दौर नशे में धुत बेवड़ियो की नंगाई देखेगा? ड्रग के नशे में हथियारों से लैस बेवड़े देखेगा? पब बार के अंदर बाहर के झगड़े देखेगा? आये दिन नशे में होने वाली हत्याएं देखेगा? कब इन्दौर की रातें अराजकता के हवाले रहेगी?

प्रवासी भारतीयों के लिए आठ दिन पहले पहले बिछ बिछ जाने वाली “सरकार” और उसके सांसद, विधायक, पार्षदो को तो शायद ही पता होगा कि शनिवार की रात को एक प्रवासी महिला ने इन्दौर के लिए क्या कहा? ये महिला अपनी स्थानीय सहेली के साथ शहर का ” नाईट कल्चर, नाईट लाइफ ” देखने निकली थी। जब उसने इन्दौर के कर्णधारों द्वारा इस शहर पर जबरिया थोपी गई “रँगीन रात” को देखकर मीडिया ल सामने कैमरे पर बोला कि आपके इन्दौर में लड़कियां, महिलाएँ सुरक्षित नही है और न आपका शहर इस लायक है।

शहर के राजनैतिक नेतृत्व को ये सुनकर शर्म आई? आती तो उसकी उपस्थिति का अहसास सबको होता। हमे तो आई। इसलिए हम मुखर है इस नंगाई के खिलाफ। पहले दिन से। आखरी दिन तक।