Indore : मच्छरों के आतंक से पूरा शहर त्रस्त, विरोध में दिनदहाड़े राजबाड़ा पर माँ अहिल्या के सामने तनी मच्छरदानी

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नितिनमोहन शर्मा। एक मच्छर…किसी फिल्म का मच्छरों पर आधारित लोकप्रिय डायलॉग इन दिनों देश के सबसे साफ शहर पर अक्षरशः सत्य साबित हो रहा हैं। शहर इन दिनों मोटे मच्छरों के साथ बारीक मच्छरों के आतंक से बुरी तरह त्रस्त हैं। इंदोरियो के लिए ये चिंता और दिनभर चर्चा का मुद्दा है कि जब शहर झाड़ फूंककर रोज साफ हो रहा है तो ये मच्छर कहाँ से आ रहे हैं? आ रहे है तो इन्हें भगाने के प्रयास कहाँ, किस गली-कूचे में चल रहे हैं? कहा है निगम् का स्वास्थ्य अमला और कहा है वे धुंआ उड़ाने वाली फॉगिंग मशीनें? शहरवासियों ने इन मशीनों को अपने गली मोहल्लों और बस्ती कालोनियों में अब तक तो देखा नही। कल ही तो करोड़ो के बजट पर महापौर की जाजम बिछी थी। इस जाजम में मच्छरों को भगाने का धुआं शामिल था क्या? मच्छर की समस्या निगम के जिम्मेदारो के लिए मच्छर जैसी होगी शायद..!! तभी वे बेपरवाह बने हुए हैं। लेकिन वे भूले नही.. एक मच्छर क्या कर सकता है? नही पता तो नाना पाटेकर का डॉयलॉग हेडफ़ोन लगाकर सुन ले। समझ आ जाये तो शाम से ही धुंआ उड़ाने वाली मशीन लेकर मैदान मे आ जाये।

मच्छरों की भिनभिनाहट अब तिलमिलाहट पैदा कर रही है। शहर भौचक है कि इतने मच्छर कहा से आये? जबकि शहर तो रोज साफ हो रहा हैं। कही कचरा और गंदगी का ढेर नही। बेक लाइन भी अब तो रँगीन चित्रकारी से सजी हुई हैं। फिर ये मच्छर कहा से आये? कैसे पैदा हो रहे? कैसे भागेंगे? बड़े मच्छरों के साथ साथ इन दिनों बारीक मच्छरों ने भी नाक में दम कर रखा। मच्छरों की भरमार लोगो को बीमार कर रही हैं। जानकार इसे मौसम से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि भीषण गर्मी के दौर में आसमान से बूंदे बरस रही हैं। इससे उमस, नमी एक साथ हो रही हैं। ये हालात मच्छरों को पनपा रहे हैं।

गर्मी का मौसम वैसे तो मच्छरों के अनुकूल नही हैं। इसके लिए वर्षा काल मुफ़ीद रहता हैं। लेकिन इन दिनों शहर में मच्छरों की भरमार हैं। हर दूसरा आदमी इस विषय पर मुखर हैं और वो मच्छरों का रोना रो रहा हैं। इंदोरियो के लिए भी ये मच्छर जिज्ञासा का विषय हो चले है कि जब शहर साफ सुथरा है तो मच्छर कहा से पनप रहे हैं? घर घर मे इस परेशानी का जिक्र है और फिक्र भी कि एक तरफ कोरोना का पलटवार का अंदेशा मंडराया हुआ और उस पर ये मच्छर..!! लोगो को ये अंदेशा भी है कि घर घर आ रहा बुखार कही इन मच्छरों की देन तो नही? गर्मी का मौसम यू भी पीलिया टायफायड जैसी बीमारियों को बढ़ा देता हैं। ऐसे में मच्छरों से मलेरिया और बुखार का डर भी घर कर गया है।

हैरत की बात है कि स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले इन्दौर में इन मच्छरों से मुक्ति के कोई बंदोबस्त सामने क्यो नही आ रहें? सफाई में 6 मर्तबा समूचे देश के टॉप के शहरों को पछाड़ने वाला इन्दौर इन पिद्दी से मच्छरों के आगे बेबस क्यो हैं? कहा है वे धुंआ करने वाली फॉगिंग मशीनें? है भी की नही? है तो क्या हर निगम झोन पर है? अगर है तो वे बाहर क्यो नही आ रही? और अगर आ रही है तो शहर में कहां और किस कोने में धुंआ उड़ा रही। मच्छर भगा रही। शहरवासियों को तो ये नजर नही आ रही। रस्म के तौर पर यदाकदा धुंआ उड़ाने का उपक्रम भी अब तो नजर नही आ रहा। जबकि शहर मच्छरों के आतंक से त्रस्त हो चला हैं।

नगर निगम और उसके स्वास्थ अमले को धिक्कारते हुए आज देश के सबसे साफ शहर को प्रतिपक्ष ने आईना भी दिखाया। वो भी राजबाड़ा चौक पर। देवी अहिल्या प्रतिमा के समक्ष। दिनदहाड़े यहां मच्छरदानिया तानी गई। विरोध स्वरूप निगम के जिम्मेदारो को आइना दिखाने का ये काम कांग्रेस नेता दीपक जोशी पिंटू ने अपनी यूथ विंग के साथ किया। बाइक ओर दो पहिया पर भी मच्छरदानी तानकर बताया गया कि अब तो घर ही नही, सड़क पर भी निकलना दूभर हो चला हैं।