इंदौर: हाईकोर्ट ने एक पिटीशन पर सुनवाई करते हुए, इंदौर ईस्ट ज़ोन के DCP और तुकोगंज थाने के SHO को कोर्ट में कल हाज़िर होने का दिया आदेश

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इंदौर। पिटीशन मृतक अरुण तंवर की माँ की और से अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव के मध्यम से दायर की गई है । पिटिशन अनुसार मृतक अरुण तंवर को इंदौर ईस्तिथ अंकुर रिहेब सेंटर में दिनांक २२/०५/२०१७ को भर्ती करा गया था और जब २६/०५/२०१७ को जान मृतक की माँ और भाई उसे देखने के लिये गए तो उन्हें सेंटर के स्टाफ द्वारा बताया गया की अरुण सो रहा है और उसे मिलवाया नहीं जा सकता, जब उसकी माँ को चिंता और कुछ ग़लत लगा तो उन्होंने मिलने की ज़िद की पर स्टाफ द्वारा दुर्व्यवहार किया गया पर माँ बहुत गिड़गिड़ाई और उसने अपने टी आई पति जो उस समय इंदौर के बाहर पदस्थ थे उन्हें सूचना दी तथा अपने बच्चे को दूर से देखने की मिन्नतें की तब उसकी माँ को कमरे की खिड़की से दिखाने पर उसकी माँ ने देखा कि अरुण के हाथ पैर बंधे हुए है और वो बेसुध है।

उसकी माँ ने तुरंत अरुण को छोड़ने और उसे घर ले जाने की बात की तो सेंटर के प्रबंधन ने उन्हें बताया की अरुण घर जाने की ज़िद कर रहा था इसीलिए उसे दवाई का डोज़ दिया गया है और हाथपैर बंधे हैं । सेंटर के प्रबंधन के व्यवहार और जवाब से उसकी माँ को बेचैनी हुई तो उसकी माँ ने बाहर आकर अपने पति को बताया और उन्हें इंदौर आने का कहा इस बीच अचानक अंकुर रेहब सेंटर से याचिकाकर्ता (माँ ) को फ़ोन आया कि अरुण की तबियत अचानक बिगड़ गई है और उसे शैलबी अस्पताल ले जा रहे है जब अरुण के माँ भाई अस्पताल पहुँचे तो अस्पताल के डॉक्टर्स ने अरुण को मृत घोषित कर दिया और बताया कि उसकी मृत्यु पहले ही हो गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दवाई का हैवी डोज़ देने का उल्लेख है और मृत्यु अप्राकृतिक बतायी गई है। मृतक के शरीर पर चोट के निशान भी बताये गये।

इसके बाद मृतक के पिता जो ख़ुद टीआई है उन्होंने समीपस्थ पुलिस स्टेशन पर सूचित कर घटना स्थल से सीसीटीवी फुटेज, मृतक के कमरे से जाँच करने, मृतक के कपड़े और अन्य समान जप्त करने का निवेदन किया परंतु पुलिस ने कुछ भी जप्त नहीं किया। मृतक के परिवार ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी कई बार लिखित शिकायत कर उचित जाँच करने का निवेदन किया पर कोई जाँच नहीं होने पर उच्च न्यायालय की शरण ली। २०१९ में सुनवाई के दौरान पुलिस की और से हाई कोर्ट को बताया गया था कि जाँच जारी है और मृतक के विसरा और एफ़एसएल रिपोर्ट भी लंबित है जिस पर हाई कोर्ट ने तुरंत विसरा और एफ़एसएल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था पर २०२३ तक भी रिपोर्ट पेश नहीं होने पर हाई कोर्ट के जज न्यायाधिपति विवेक रशिया ने डीसीपी और एसएचओ को हाज़िर होकर जवाब देने का आदेश दिया हैं।