Indore : टीपीए एवं सीए शाखा द्वारा जीएसटी आईटीसी पर सेमिनार का हुआ आयोजन

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जी एस टी के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना एक स्वप्न सा प्रतीत हो रहा है। व्यापारी द्वारा माल या सर्विस प्राप्त करने पर कर का भुगतान कर देने पर भी उसकी क्रेडिट तभी मिलती है जबकि उसके प्रदाता (सप्लायर) द्वारा GSTR 1 रिटर्न फाइल करके कर का भुगतान कर दिया हो रिटर्न फाइल करने में देरी पर क्रेता को उसकी क्रेडिट उसी माह में प्राप्त होगी जिस माह प्रदाता द्वारा उस व्यव्हार क़ो दिखाते हुए रिटर्न दाखिल किया गया हो। उक्त बात सी ए उमेश गोयल द्वारा टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, इंदौर एवं सी ए इंदौर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में जी एस टी के अंतगत इनपुट टैक्स क्रेडिट सम्बंधित प्रावधानों की व्याख्या हेतु आयोजित सेमिनार में कही।

उमेश गोयल ने यह भी बताया कि पहले सरकार द्वारा GSTR 2A फॉर्म से मिलान कर क्रेडिट लेने का नियम बनाया था ! इसके अंतर्गत किसी प्रदाता द्वारा रिटर्न फाइल नहीं करने पर भी सरकार ने एक सुविधा दी थी कि वह 2A फॉर्म में दिख रही क्रेडिट से 20 % अधिक राशि तक क्रेडिट ले सकता था ! इस अतिरिक्त क्रेडिट के प्रावधान को समय समय पर घटाकर 5 % तक कर दिया गया। अब 1 जनवरी 2022 से नए फॉर्म GSTR 2B को लागू करके उसमे दिख रही क्रेडिट को ही लेने का प्रावधान लागू कर दिया है। इसका प्रभाव यह हुआ कि कई बार प्रदाता द्वारा समय पर रिटर्न फाइल नहीं करने पर क्रेता को क्रेडिट नहीं मिलने के कारण उस माह के कर का भुगतान अपनी जेब से करना होता है ! इससे व्यापारी का पैसा ब्लॉक हो रहा है और उसे व्यापार करने में दिक्कत हो रही है। इसके अलावा अब व्यापारी को मासिक रिटर्न GSTR3B फाइल करते समय 2B में दिखने वाली क्रेडिट को विभिन्न कॉलम में पूर्णतया मिलान करके ही दिखाना होगा जो कि एक बेहद मुश्किल कार्य है।

सी ए कृष्ण गर्ग ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब व्यापारी को अपनी क्रेडिट का दो प्रकार से मिलान करना होगा ! प्रत्येक माह रिटर्न फाइल करते समय GSTR 2B एवं वार्षिक विवरणी दाखिल करते समय GSTR2A से उन्होंने 2A एवं 2B फॉर्म में अंतर बताते हुए कहा कि 2A फॉर्म किसी विशेष माह की क्रेडिट दर्शाता है चाहे उससे सम्बंधित रिटर्न प्रदाता द्वारा कभी भी फाइल किया गया हो। जबकि 2B फॉर्म एक निर्धारित समय सीमा (पिछले माह की 14 तारीख से वर्तमान माह की 13 तारीख ) में फाइल किये किसी भी माह के रिटर्न में दर्शाये व्यवहारों की क्रेडिट दिखाता है।

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एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह सोलंकी ने कहा कि सरकार द्वारा जी एस टी के प्रावधानों क़ो जटिल बना दिया है ! इससे न केवल व्यापारी बल्कि कर सलाहकार भी परेशान हो रहे है। सामान्यतया व्यवपारियों द्वारा देरी होने पर भी 4 -5 दिन के भीतर रिटर्न फाइल कर दिए जाते है। अतः 3B फॉर्म फाइल करने के पूर्व भी यदि प्रदाता ने रिटर्न फाइल कर दिया हो तो क्रेडिट मान्य करना चाहिए। सेमिनार में बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट, अधिवक्ता एवं कर सलाहकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का सञ्चालन एवं आभार प्रदर्शन एडवोकेट गोविंद गोयल ने किया।