Indore : रहवासियों का स्मार्ट सिटी एरिया में घर होना दुर्भाग्य, नक्शा पास करने का शुल्क भवन निर्माण से दोगुना

Share on:

इंदौर शहर को 2015 में स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया गया था। जिसके बाद 742 एकड़ क्षेत्र को विकसित करने लिए यह योजना लागू की गई। यह क्षेत्र इंदौर के हृदय स्थल राजबाड़ा के आसपास का है। जिसका ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व है। इस क्षेत्र में स्मार्ट सिटी योजना लागू करने का उद्देश्य पुराने बाजारों को आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित कर पुराने इंदौर को रिडेवलप कर नया रूप देना था।

जिसमें 27 सड़कों को 60 फिट चौड़ा कर 24 घंटे वॉटर सप्लाइ, अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम, वन थीम वन मार्केट, स्मार्ट पार्किंग, सहित अन्य सुविधाएं दी जानी थी, लेकिन बीते 8 सालों में 742 एकड़ क्षेत्र के रहवासियों को सुविधा तो नहीं मिली बल्कि स्मार्ट सिटी एरिया विकास के नाम पर लिया जाना वाला बिल्डिंग परमिशन का शुल्क मकान निर्माण की लागत से ज्यादा वसूला जा रहा है। जिसके बाद रहवासी यह कहने पर मजबूर है कि स्मार्ट सिटी एरिया में हमारा मकान होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जो सपने दिखाए गए थे वो हकीकत से कोसों दूर है।

आधुनिक सुविधाएं तो दूर सफाई ही नहीं हो रही है

नलिया बाखल निवासी सीताराम व्यास ने बताया कि 8 साल पहले नगर निगम अधिकारियों, क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने हम से वादा किया था, कि नलिया बाखल की सड़क सहित 27 सड़कें स्मार्ट सिटी योजना के तहत आधुनिक सुविधाओं के साथ 60 फीट चौड़ाकर निर्माण किया जाएगा। लेकिन यह बनना तो दूर यहां नालियां तक साफ नहीं हो रही है। बेकलेन तक कचरे पटी हुई है। सड़कों पर गड्डे हो रहे हैं, ऐसी स्मार्ट सिटी हमें नहीं चाहिए।

सड़क नहीं तो शुल्क नहीं

शीतला माता बाजार निवासी संदीप जैन ने बताया कि स्मार्ट सिटी में 27 सड़कें शामिल की गई थी जिसमें 12 सड़कें ही बनी है। यहां शीतला माता बाजार की सड़क तो बन गई लेकिन नलिया बाखल की 300 मीटर सड़क अधूरी छोड़ दी गई है। पांच साल से बारिश के दौरान सड़क मुसिबत बनी हुई है। ड्रेनेज चोक रहती है, नालिया अंडर ग्राउंड नहीं है, लेकिन नक्शा पास करने लिए स्मार्ट सिटी रिडेवलेमेंट शुल्क लाखों में लिया जा रहा है। जब तक यहां विकास नहीं हो तब तक स्मार्ट सिटी के हिसाब से भवन अनुज्ञा शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।

निर्माण लागत 14 लाख, भवन अनुज्ञा 40 लाख

यहां रहने वाले बाबू तिवारी ने बताया कि स्मार्ट सिटी के तहत जिन लोगों के मकान टूटे है, वो फिर से मकान नहीं बना पा रहे है, निगम द्वारा बेतहाशा फीस में वृद्धि कर दी गई है। हमारा दुर्भाग्य है कि जहां हम रहते है वो एरिया स्मार्ट सिटी में शामिल हो गया है। मेरे 1 हजार स्क्वायर फिट प्लाट का भवन अनुज्ञा शुल्क 40 लाख रुपए बताया गया है। बाजार में 1400 रुपए स्क्वायर फिट के हिसाब से भवन निर्माण का रेट है जिसकी लागत 14 लाख रुपए मुझे निर्माण में लग रही है और नक्क्षा पास करवाने के लिए इससे 28 लाख रुपए अधिक की राशि चुकानी पड़ेगी। यह गजब की स्मार्ट सिटी है।

मल्हारगंज निवासी कैलाश जोशी ने बताया कि भाजपा ने हमें स्मार्ट सिटी के रूप में अभिशाप दे दिया है। इस क्षेत्र में रहना मुश्किल हो गया, यहां गरीब वर्ग भी है जो मकान बनाना चाहता है। वो स्मार्ट सिटी की फीस कहां से लाएगा। टूटे-फूटे मकान में मौसम की मार के साथ रहने को मजबूर है। शहर के नेताओं ने स्मार्ट सिटी लागू होने के बाद अपना चहरा नहीं दिखाया। सड़कें कब बनेगी इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है। कांग्रेस के पूर्व पार्षद प्रेम खड़ायता ने बताया कि स्मार्ट सिटी कम्पनी के अधिकारियों ने अपनी योजना इस क्षेत्र के रहवासियों पर थोपी है, क्षेत्र में कौनसी लाइन कहा जोड़ी जानी है इसका ज्ञान उनके पास नहीं है। 742 एकड़ क्षेत्र में आधी-अधूरी ड्रेनेज लाइनें डाली गई है। जिससे गंदा पानी, ड्रेनेज चौक होने समस्या है। जहां भी सड़क चोड़ी करने के लिए मकान तोड़े वहां के रहवासी दूसरी बार नक्शा पास नहीं करा सके है। लगभग 5000 हजार लोग ऐसे है जो महंगी फीस के कारण मकान नहीं बना पा रहे है

महापौर  पुष्यमित्र  भार्गव का कहना है कि स्मार्ट सिटी एरिया में रिडवेलमेंट के काम जारी है, सड़कों निर्माण समय लग रहा है, रहवासियों ने नियम अनुसार भवन अनुज्ञा शुल्क लिया जा रहा है। जो सड़कें नहीं बनी वहां आने वाले समय में निर्माण होगा और आधुनिक सुविधाएं रहवासियों को मिलेगी। इसके बाद भी उन्हें समस्या है वो बता सकते जिसका निराकरण करेंगे।

क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना में भवन अनुज्ञा शुल्क अधिक लग रहा है लेकिन रहवासियों को टीडीआर पालिसी का भी लाभ मिलेगा। यह शासन स्तर पर लंबित है जिसको जल्दी लागू करने लिए मुख्यमंत्री से बात की है। नक्शा पास करने लिए लगने वाले अधिक शुल्क की समस्या रहवासियों ने बताई जिसका हल निकाला जाएगा।  नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने इस बारे में कहा की टीडीआर पालिसी को लागू करने लिए शासन स्तर प्रक्रिया लंबित है, वरिष्ठ अधिकारियों को इंदौर की समस्या से अवगत करवाया है। क्योंकि पॉलिसी लागू नहीं होने के कारण स्मार्ट सिटी क्षेत्र के रहवासियों को लाभ नहीं मिल रहा है, नगरीय विकास विभाग भोपाल में बैठक बुलाई गई है जल्द फैसला होगा।

स्मार्ट सिटी योजना में ये सड़कें थी शामिल

सराफा, आड़ा बाजार, बक्शी गली, पीपली बाजार, छोटा सराफा से मारोठिया बाजार, बोझांकेट मार्केट, शक्कर बाजार रोड, सांठा बाजार, बोहरा बाजार, इतवारिया बाजार, मोरसली गली, यशवंत रोड, यशोदामाता मंदिर, इमामबाड़ा से जवाहर मार्ग, मल्हारगंज गली नंबर 2 व 3, नलिया बाखल, लाल अस्पताल के पीछे वाली सड़क।