कोरोना महामारी पर भारी ‘गदाधारी’

Shivani Rathore
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इंदौर : शहर में श्रद्धालुओं ने ऊपर लिखी इन चंद लाइनों को सार्थक साबित कर दिया। दरअसल, रणजीत अष्टमी के मौके पर शहर के अतिप्राचीन श्री रणजीत हनुमान धाम पर परम्परानुसार पवनपुत्र की प्रभात फेरी निकाली। हालांकि कोविड 19 जैसे वायरस के चलते मंदिर प्रबंधन समिति ने यात्रा को सिर्फ मंदिर परिसर में ही निकाल कर सालाना आयोजन को कायम रखा.. लेकिन किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि सुबह पांच बजे हुए इस आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर भक्ति की शक्ति के दर्शन करवा देंगे।

वैसे आस्था,श्रद्धा और विश्वास से जुड़ी मनोवृत्ति कितनी शक्तिशाली होती है यह उदहारण भी इंदौर के अतिप्राचीन श्री रणजीत हनुमान धाम में देखने को मिला। रणजीत अष्टमी के अवसर पर श्री रणजीत हनुमान धाम में हर साल भव्य आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष मंदिर से सुबह पांच बजे हनुमान जी के विशेष स्वरूप को स्वर्ण सहित कई अमूल्य धातुओं से निर्मित रथ पर विराजित कर प्रभात फेरी निकाली जाती है। प्रभात फेरी में कड़ाके की ठंड को भूल लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रदेश की सबसे बड़ी यात्रा के साक्षी भी बनते है। हालांकि इस साल कोविड-19 जैसे वायरस के दुष्प्रभाव के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन समिति ने तय किया कि यात्रा छोटे स्वरूप में निकाली जाएगी। निर्णय हुआ कि अंजनि पुत्र की रथयात्रा मंदिर परिसर में ही भ्रमण करेगी।

मंदिर के मुख्य पुजारी दीपेश व्यास ने बताया कि मंदिर प्रबंधन समिति ने पिछले एक महीने से प्रचार अभियान चलाकर श्रद्धालुओं से यह अपील भी कर रही थी कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यात्रा के दर्शन का लाभ लें। लेकिन श्रद्धा और भक्ति के विषय में संख्या का आंकलन या किसी भी तरह का पूर्वानुमान करना बेमानी है। यह हनुमान जी के भक्तों ने ही बता दिया। छोट स्वरूप में निकाली गई यात्रा को रामजी के परम भक्त से जुड़े महान भक्तों ने इस साल भी सबसे बड़ा बना दिया…हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंगलवार की देररात से ही मंदिर पहुंचाना शुरू हो गए थे।

अलसुबह जब यात्रा के श्रीगणेश का अवसर आया तक तक रणजीत बाबा के अद्भुत धाम से जुड़े सभी मार्ग श्रद्धालुओं से भरे दिखाई दे रहे रहे थे। मंदिर के पुजारी नितेश व्यास ने बताया कि हमें उम्मीद नहीं कि थी रणजीत हनुमान के अनुयायी असामान्य हालातों में भी परम्परा के प्रति इतने भावुक दिखाई देंगे । यानी 130 साल पुरानी इस परंपरा के आड़े न कोई बीमारी आ सकी न ही वैश्विक महामारी। दुसरी  तरफ इस विशेष अवसर पर हनुमान जी का विशेष श्रृंगार और विभिन्न पुष्पों से सुसज्जित मंदिर सजावट भक्तों का मन मोह रही है। जबकि राम के संकट हरने वाले संकटमोचन के भक्त भी कतारबद्ध होकर यह कहते पाए गए कि बाबा जब तुम रक्षक तो काहू को डरना।